रिव्यू

चुनने की स्वतंत्रता या मजबूरी और अतीत के उलझे धागे

  आशीष ठाकुर आशीष मूलतः मध्यप्रदेश के निवासी हैं.फिलहाल पिछले 15 वर्षों से मुंबई में रहते हैं. पहले एडवरटाइजिंग, फिर…

6 years ago

टोबा टेक सिंह : पागलों के बटवारे की कहानी

सआदत हसन मंटो की कहानियां लिखे जाते समय जितनी विवादित हुई उतनी ही चर्चित आज भी हैं. उनकी हर कहानी…

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इस फिल्म के बाद माराडोना ने कहा था निर्देशक ने मुझे सिखाया कि किसे कितनी इज़्ज़त दी जानी चाहिये

सुर्ख़ियों में बने रहना दिएगो मारादोना की फ़ितरत का हिस्सा रहा है. चाहे 1986 के फ़ुटबॉल विश्वकप के क्वार्टर फ़ाइनल…

6 years ago

दुःख का रंग भी सुनहरा होता है –द स्ट्रेट स्टोरी

  आशीष ठाकुर आशीष मूलतः मध्यप्रदेश के निवासी हैं.फिलहाल पिछले 15 वर्षों से मुंबई में रहते हैं. पहले एडवरटाइजिंग, फिर…

6 years ago

कभी बूढ़ा न होने वाला एक नास्टैल्जिया – सिनेमा पारादीसो

  आशीष ठाकुर आशीष मूलतः मध्यप्रदेश के निवासी हैं.फिलहाल पिछले 15 वर्षों से मुंबई में रहते हैं. पहले एडवरटाइजिंग, फिर…

6 years ago

न खाता न बही, जो पापा बोले वही सही – फिल्म ‘दंगल’ का एक और उम्दा रिव्यू

अमूमन कहानियां तीन तरह से कही जाती हैं. पहला तरीका, सत्य घटनाओं का अपनी दृष्टि के मद्देनजर सीधा सच्चा बयान.…

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अपने समय से आंख मिलाती हुई फ़िल्म है अनुभव सिन्हा की ‘मुल्क’

ऐसे डरपोक सिनेमा संसार में जहां नायक का नाम तक ऐसा रखा जाता हो, जिस पर विवाद की गुंजाइश न…

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भारतीय सिनेमा को बदलता एक मराठी निर्देशक

'सैराट' (मुक्त) क्षेत्रीय भाषा में रचा गया भारतीय सिनेमा का महाख्यान है. 'सैराट' बोन्साई होती जा रही मानवीय संवेदना की…

6 years ago