विगत 9 दिसम्बर को गरुड़ वाले चाचा आ गए ,चाची को साथ लेकर. हम उन्हें गरुड़ वाले चाचा कहते हैं.…
वह भी क्या दौर था, जब मेहमानों के आते ही खुशी छा जाती थी. अतिथि देवो भव की सनातन परंपरा…
कुमाऊं के अनेक प्रतिष्ठित देवता हैं— जैसे गोलू, हरू, सैम, ऐरी, गंगनाथ, भोलानाथ, कलबिष्ट, चौमू, भूमिया आदि. ये सभी मध्यकाल…
यह कहना गलत न होगा कि उत्तराखण्ड की शादियों में जो रस्में होती थी, उनमें से कई आज बूढ़ी हो…
सुआल पथाई कुमाऊनी विवाह परम्परा का अभिन्न हिस्सा है. सुआल पथाई का कार्यक्रम विवाह से एक या तीन अथवा पांच…
पिथौरागढ़ जिले में आज जौलजीबी के मेले का आयोजन किया गया. जौलजीबी कस्बा पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय से 68 किमी की…
दीपावली के ठीक ग्यारह दिन बाद गढ़वाल में एक और दीपावली मनाई जाती है जिसे इगास बग्वाल कहा जाता है.…
इगास: बारा-बग्वाली का समापन-पर्व इगास (एगास भी), उत्तराखण्ड के गढ़वाल क्षेत्र में मनाया जाने वाला प्रमुख पर्व है. दीपावली यहाँ…
पहाड़ में जीवन जीने का पर्याय है हाड़-तोड़ मेहनत. हाड़-तोड़ मेहनत पहाड़ के लोगों का आभूषण है जिसे यहां के…