कॉलम

पहाड़ों मे कोई न तो पलायन के गीत हैं न हीं आह्वान के गीत

पहाड़ों में अब मौसमी गीत ही गीत हैं. बसंत बरसात और प्यारा जाड़ा तो है. जाड़ा अब उतना गुलाबी नहीं…

6 years ago

कहो देबी, कथा कहो – 13

एक वह दोस्त उन्हीं दिनों एक दिन मेरा वह एक दोस्त आ गया. बोला, इलाहाबाद जा रहा था लेकिन देवेन…

6 years ago

पिछौड़ा उत्तराखण्ड का एक पारम्परिक परिधान

पिछौड़ा उत्तराखण्ड में सभी मांगलिक कार्यक्रमों में विवाहित महिलाओं द्वारा पहना जाने वाला एक पारंपरिक परिधान है. पुराने समय में…

6 years ago

कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 30

पिथौरागढ़ में रहने वाले बसंत कुमार भट्ट सत्तर और अस्सी के दशक में राष्ट्रीय समाचारपत्रों में ऋतुराज के उपनाम से…

6 years ago

जैव विविधता और प्राकृतिक सौन्दर्य का धनी बाराती रौ झरना

हल्द्वानी से रामनगर (जिला-नैनीताल) के रास्ते पर बैलपड़ाव से पहले एक छोटा सा गाँव है चूनाखान. यहाँ से एक सुन्दर…

6 years ago

बारह मास विलास

साधो हम बासी उस देस के – 2 -ब्रजभूषण पाण्डेय मेला गाँव का पहले से लेकर तीसरे तक सबसे प्रमुख…

6 years ago

कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 29

पिथौरागढ़ में रहने वाले बसंत कुमार भट्ट सत्तर और अस्सी के दशक में राष्ट्रीय समाचारपत्रों में ऋतुराज के उपनाम से…

6 years ago

पार्वती-महादेव और निठल्ले इंसानों की कथा

दादी तू ये बता कि शिवजी भगबान ओ दूर बरफ़ वाले पहाड़ में क्यों रहते हैं.उनके पास हमारे जैसा घर…

6 years ago

घोर कलजुग इसी को कहते हैं

उन दिनों समाज में नैतिकता का जोरदार आग्रह रहता था. हर किसी पर घनघोर नैतिकता छाई रहती थी. लड़के, अपने…

6 years ago

इतने विशाल हिंदी समाज में सिर्फ डेढ़ यार : ग्यारहवीं क़िस्त

मानकीकरण से हिंदी की टांग मत तोड़ो भाषा, मानकीकरण और व्याकरण का रिश्ता बहुत पुराना है हालाँकि बाहर से देखने…

6 years ago