कॉलम

जब मां के प्रति नाइंसाफी का बदला लेने के लिए मैंने दूध में पानी मिलाया

पहाड़ और मेरा जीवन - 18 (पोस्ट को लेखक सुन्दर चंद ठाकुर की आवाज में सुनने के लिये प्लेयर के…

6 years ago

आजादी की लड़ाई में पहाड़ के पत्रकार

भारत की आजादी में उत्तराखंड के पत्रकारों  (Uttarakhand Journalists) ने भी सक्रिय भूमिका निभाई थी.  ऐसे ही कुछ बहादुर पत्रकारों…

6 years ago

पंडित नैनसिंह रावत : घुमन्तू चरवाहे से महापंडित तक

मुनस्यारी से शुरू होने वाली जोहार घाटी के कोई दर्ज़नभर गाँवों में रहने वाले अर्द्ध-घुमन्तू, पशुचारक, व्यापारी शौका समुदाय के…

6 years ago

बुरांश पर बर्फ: बिनसर से ताज़ा तस्वीरें

इस साल बिनसर (Binsar) में तीन बार हिमपात (Snowfall) हो चुका है. वर्ष की शुरुआत में ऐसा लग रहा था…

6 years ago

कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 99

डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है - “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि…

6 years ago

आन्दोलन, सिफ़ारिश और ब्रीफकेस

अंतर देस इ उर्फ़… शेष कुशल है! भाग – 17 अमित श्रीवास्तव माननीय एस पी महोदय नमस्कार पत्रवाहक मेरे गाँव…

6 years ago

कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 98

डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है - “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि…

6 years ago

हल्के-फुल्के मिजाज की फिल्म चश्मेबद्दूर

चश्मेबद्दूर (Chashme Buddoor) एक पर्सियन शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ है- बुरी नजर से दूर या नजर ना लगे. चश्मे…

6 years ago

गणतन्त्र के मौके पर राष्ट्र का नागरिकों के नाम पत्र

ओए नागरिक... अमाँ बाशिंदे... अबे देसवासी जियो... बसो... फलो तुम्हारी भेजी चिट्ठी मिली. चलो इस ज़माने में भी चिट्ठी पत्री…

6 years ago

कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 97

डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है - “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि…

6 years ago