इन दिनों उत्तराखंड में कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति अपने ऊलजलूल बयानों के कारण चर्चा में हैं. हाल ही में उनके…
भारतीय भाषाओं के शीर्षस्थ कथाकारों का समागम : ‘कलकत्ता कथा समारोह, 1982’ : जब भारतीय भाषाओं का नेतृत्व हिंदी करती…
कठपतिया का श्राप चारों ओर छोटे-छोटे पत्थरों से एक गोल घेरा बनाया जाता था जिसके बीच कोई भी आदमी –…
काली-कुमाऊँ के ‘पैका’ और उड़ीसा के ‘पाइका’ योद्धा: भारत की पहली लड़ाका कौम, जो कभी हिमालय से ओड़िसा तक फैली…
आधुनिकता को अंग्रेजों के आगमन और उनकी भाषा के साथ आये ज्ञान-विज्ञान के साथ जोड़कर देखा जाता है. कुछ हद…
इन दिनों शानी बहुत याद आ रहे हैं. 1965 में जब अक्षर प्रकाशन से उनका उपन्यास ‘काला जल’ प्रकाशित हुआ…
पिछली पोस्ट में मैंने भारत के कालजयी लेखक प्रेमचंद के परिवार के साथ रहने के कारण खुद को सौभाग्यशाली व्यक्तियों…
इस पोस्ट को पिछली पोस्ट के क्रम में पढ़िए. पिछली पोस्ट का लिंक: पचास साल पहले इलाहाबाद में कथाकार अशोक…
अपनी जिंदगी के किसी पुराने टुकड़े को एकदम जीवंत रूप में देखना कितना रोमांचकारी होता है, इसका अहसास मुझे कुछ…
चरवाहे लोकदेवता कलबिष्ट की शरण में (एक लोक देवता के अंकुरण की पृष्ठभूमि)-बटरोही इतने सालों के बाद क्या उसका यह…