देवेन मेवाड़ी

दा, उसे घुघुती मिल गई होगीदा, उसे घुघुती मिल गई होगी

दा, उसे घुघुती मिल गई होगी

दूर पहाड़ के अपने गांव से पढ़ने के लिए मैं शहर नैनीताल चला गया था लेकिन मन में बसा गांव…

6 years ago
दाड़िम के फूल – इस कहानी की एक कहानी हैदाड़िम के फूल – इस कहानी की एक कहानी है

दाड़िम के फूल – इस कहानी की एक कहानी है

मेरी कहानी ‘दाड़िम के फूल’ की भी एक मजेदार कहानी है. आनंद तब आए जब इससे पहले मेरे दोस्त बटरोही की कहानी ‘बुरांश…

6 years ago
उस दिन शिकार पर गया मैं पछेटिया बन करउस दिन शिकार पर गया मैं पछेटिया बन कर

उस दिन शिकार पर गया मैं पछेटिया बन कर

एक दिन मुझे पछेटिया बन कर सचमुच शिकार पर जाने का मौका मिल गया. पछेटिया मतलब शिकारी के पीछे-पीछे चलने…

6 years ago
पहाड़ के गांवों में श्यूं-बाघ के किस्सेपहाड़ के गांवों में श्यूं-बाघ के किस्से

पहाड़ के गांवों में श्यूं-बाघ के किस्से

श्यूं-बाघ? द ऽ, श्यूं-बाघों के तो किस्से ही किस्से ठैरे मेरे गांव में. मुझे जैंतुवा ने कई बार रात में…

6 years ago
फिर कि भौ उर्फ उत्तरकथाफिर कि भौ उर्फ उत्तरकथा

फिर कि भौ उर्फ उत्तरकथा

“पूरी कथा सुना दी हो देबी तुमने तो.” “पूरी कथा? अभी कहां पूरी हुई?” “क्यों रिटायरमेंट तो हो गया?” “रिटायमेंट…

6 years ago
ओ ईजा! ओ मां! – पहाड़ की एक भीगी यादओ ईजा! ओ मां! – पहाड़ की एक भीगी याद

ओ ईजा! ओ मां! – पहाड़ की एक भीगी याद

बचपन से आज तक ईजा (मां) को कभी नहीं भूला. वह 1956 में विदा हो गई थी, जब मैं छठी…

6 years ago
मुक्त आकाश का पंछीमुक्त आकाश का पंछी

मुक्त आकाश का पंछी

कहो देबी, कथा कहो – 46 पिछली कड़ी – कुमारस्वामी और काम के वे दिन वह दिन था 2 जून…

6 years ago
कुमारस्वामी और काम के वे दिनकुमारस्वामी और काम के वे दिन

कुमारस्वामी और काम के वे दिन

कहो देबी, कथा कहो – 45 पिछली कड़ी - कहां थे मेरे उजले दिन “हां, तो कहो देबी. फिर क्या…

6 years ago
कहां थे मेरे उजले दिनकहां थे मेरे उजले दिन

कहां थे मेरे उजले दिन

कहो देबी, कथा कहो – 44 पिछली कड़ी - तोर मोनेर कथा एकला बोलो रे सांझ ढल गई थी और…

6 years ago
तोर मोनेर कथा एकला बोलो रेतोर मोनेर कथा एकला बोलो रे

तोर मोनेर कथा एकला बोलो रे

कहो देबी, कथा कहो – 43 पिछली कड़ी - और भी थे इम्तिहां वे निराशा के दिन थे. मन खिन्न…

6 years ago