साल 1846 ईसवी. अवध के कैंसर से जूझते नवाब अमजद अली शाह अपने अंतिम दिन गिन रहे थे. कभी समृद्धि…
मेरे एक मित्र मजाक में कहा करते हैं कि अगर कोटद्वार या ऋषिकेश से दिल्ली जा रही किसी बस की…
सुन लो हे मेरे चटोरे पाठको. हम न तो गोरे अंग्रेजों की तरह हैं,जो पूरी जिंदगी वो पास्ता-वास्ता, पिज्जा-विज्जा, टोस्ट-पोस्ट…
सिसौण कहो या कंडाली- ये सब्जी हिम्मत वाली इस बार के पहाड़ी जायके को पढ़ने से पहले अपने अंदर हिम्मत…
अपना मित्र और पूर्व में सहकर्मी रहा शमशेर नेगी एक बड़ी मजेदार बात कहा करता है- "जिसने नहीं खाया पहाड़ी…
बात उन दिनों की है, जब मेरी नालायकी और कुसंग से मेरा परिवार आजिज आ चुका था. मां की नसीहत…
हिमाचल वाला किस्सा यहां भी दोहराया गया. फर्क सिर्फ ये है कि शिमला में शर्मा जी थे और यहां हल्द्वानी…
चैंस कह लो, चैंसा या फिर चैंसू. नाम अलग-अलग अंचलों में कुछ फर्क के साथ अलग हों, लेकिन इसका स्वाद…
चंदू की चाची को चांदनीखाल में चटनी चटाई जूनियर कक्षाओं में बाल मंडली ने अनुप्रास अलंकार का एक घरेलू उदाहरण…
दो दिन पहले एक मित्र का एक दुकान में कुछ सामान खरीदने के दौरान पर्स छूट गया. मेरे मित्र दोबारा…