भुर भुर उज्याई जसी जाणि रत्तै ब्याण,भिकुवे सिकड़ी कसि ओढ़ी जै निसाण,खित्त कनैं हंसणऔर झऊ कनैं चाण,क्वाठन कुरकाती लगूंमुख क…
प्रेम कविता में दरवाजा - हेमंत कुकरेती उसने तय किया भूख मिट जाएवह प्रेम की कविता लिखेगाजिसमें प्रेम नामक शब्द…
पहाड़ और मेरा जीवन – 40 पिछली कड़ी: भाषण देते हुए जब मेरे पैर कांपते रहे, जुबान हकलाती रही और…
आज विश्वास करना मुश्किल होता है कि जनार्दन बाबू कभी ऐसे न थे जैसे अब हो गए हैं. लगभग सालभर…
चलो सखी पर्वत है आएं सब आपस में चंदा करकैंडीजल की गाड़ी में भर कैंदेहरी छू भज आएं चलो सखी पर्वत है…
माँ मुनव्वर राणा हँसते हुए माँ बाप की गाली नहीं खातेबच्चे हैं तो क्यों शौक़ से मिट्टी नहीं खाते हो चाहे…
सिल्ला और चिल्ला गाँव - लीलाधर जगूड़ी हम सिल्ला और चिल्ला गाँव के रहनेवाले हैंकुछ काम हम करते हैं कुछ…
दुष्यंत कुमार हिन्दी भाषा में गजल की विधा को लेकर आने वाले पहले महत्वपूर्ण कवि थे. 1 सितम्बर 1933 को…
ज़रा भी सलीके के स्कूल में पढ़ चुके या ज़रा भी समझदार माँ-बाप वाले परिवार में पैदा हुए बहुत कम…
एथलेटिक्स में भारत को पहली बार विश्वस्तरीय ऊंचाइयों पर पहुंचाने का श्रेय पी टी ऊषा को जाता है. ओलिम्पिक्स और…