लिफाफे के बाहर पता यों लिखा हुआ था :सोसती सिरी सरबोपमा - सिरीमान ठाकुर जसोतसिंह नेगी, गाँव प्रधान - कमस्यारी…
जून के महीने की भरी दोपहरी. इतना भरा पूरा गांव आराम की मुद्रा में था. इसलिए चारों ओर खामोशी सी…
मेरा एक सीक्रेट है, जिसे मैं किसी से शेयर नहीं कर सकता. मुझे डर है कि जानते ही लोग मुझ…
वह विरल दृश्य था. सड़क पर एक युवक बांसुरी बजाता जा रहा था. सैकड़ों कान उसका पीछा कर रहे थे…
हे मेरे प्रदेश के वासीछा जाती वसन्त जाने से जब सर्वत्र उदासीझरते झर-झर कुसुम तभी, धरती बनती विधवा सीगंध-अंध अलि…
तुम्हारी निश्चल आंखेंचमकती हैं मेरे अकेलेपन की रात के आकाश मेंप्रेम पिता का दिखाई नहीं देताईथर की तरह होता हैजरूर…
उसने अपने बिस्तरे का अंदाज लेने के लिए मात्र आध पल को बिजली जलाई. बिस्तरे फर्श पर बिछे हुए थे.…
एक साथी ने उसकी परेशानी का कारण भाँप लिया था, “ऐसे नहीं उतरेगा मास्टर. आओ, तेल में धो लो”, कहकर…
मुझे अपने बूबू (दादा जी) की खूब याद है. अब तो उन्हें गुजरे हुए भी चालीस साल के ऊपर हो…
किसी भी सभ्य समाज में गाली एक कुत्सित व निदंनीय व्यवहार का ही परिचायक है, जिसकी उपज क्रोधजन्य है और…