कला साहित्य

कहानी : मोतिया

चीड़ के पेड़ कब के पीछे छूट गये थे और अब तो ठंडी हवा और सर्पीली सड़क भी गुम हो…

3 years ago

प्रेमचंद की कहानी ‘सुहाग की साड़ी’

यह कहना भूल है कि दाम्पत्य-सुख के लिए स्त्री-पुरुष के स्वभाव में मेल होना आवश्यक है. श्रीमती गौरा और श्रीमान्…

3 years ago

गर्जना और विद्युत की कहानी

बहुत समय पहले गर्जना (बादलों की आवाज़) और विद्युत (आकाशीय बिजली) बाक़ी सभी लोगों के साथ धरती पर ही रहा…

3 years ago

माँ बनने की बात पर ख़ुश हो या दुःखी पीहू समझ न पायी

पीहू एक बहुत ही सुलझी हुई, समझदार, खूबसूरत और होशियार बच्ची थी और अपने माता-पिता की इकलौती सन्तान भी. बचपन…

3 years ago

बारिश: एक नौजवान के ना-मुकम्मल इश्क़ की दास्तान

मूसलाधार बारिश हो रही थी और वो अपने कमरे में बैठा जल-थल देख रहा था. बाहर बहुत बड़ा लॉन था,…

3 years ago

कृष्णा सोबती की कहानी ‘सिक्का बदल गया’

खद्दर की चादर ओढ़े, हाथ में माला लिए शाहनी जब दरिया के किनारे पहुंची तो पौ फट रही थी. दूर-दूर…

3 years ago

हार: एक अबूझ रिश्ते की कहानी

ऑफिस से घर पहुँच कर दरवाजा खोलते ही वैवाहिक निमंत्रण कार्ड पड़ा मिला. पते की लिखावट वह एकदम से पहचान…

3 years ago

महेश चंद्र पुनेठा की किताब ‘अब पहुँची हो तुम’

एक कविता संग्रह में सामान्यत: अलग-अलग थीम्स पर कविताएं लिखी जाती हैं. क्या अलग-अलग थीम पर लिखी गई कविताओं में…

3 years ago

मैं कैसे कहूँ कि यह वर्ष तुम्हें सुख दे : हरिशंकर परसाई

साधो, बीता साल गुज़र गया और नया साल शुरू हो गया. नए साल के शुरू में शुभकामना देने की परंपरा…

3 years ago

लोक कथा : चाँद और सूरज आसमान में क्यों रहते हैं?

कई बरस पहले पानी और सूरज बहुत अच्छे दोस्त थे और दोनों ही धरती पर एक साथ रहा करते थे.…

3 years ago