कला साहित्य

अमरूद का पेड़

घर के सामने अपने आप ही उगते और फिर बढ़ते हुए एक अमरूद के पेड़ को मैं काफी दिनों से…

3 years ago

पहाड़ के प्रेमचंद विद्यासागर नौटियाल की कहानी ‘एक शिकायत सबकी’

सौला- रूपसा से मैं पूछती हूँ, इस घर में मैं भी कोई हूँ या नहीं? वे अपनी माँ का पक्ष…

3 years ago

इस्मत चुगताई की विवादित कहानी ‘लिहाफ’

जब मैं जाड़ों में लिहाफ़ ओढ़ती हूँ, तो पास की दीवारों पर उसकी परछाईं हाथी की तरह झूमती हुई मालूम…

3 years ago

आंचलिक साहित्यिक कृति ‘हम तीन थोकदार’

वर्ष 2020 में उम्र के पचहत्तरवें पायदान में कदम रखते तीन थोकदारों का यह किस्सा शुरू हुआ जिसके पीछे गाँव…

3 years ago

भोलाराम का जीव : हरिशंकर परसाई

ऐसा कभी नहीं हुआ था… धर्मराज लाखों वर्षों से असंख्य आदमियों को कर्म और सिफारिश  के आधार पर स्वर्ग या…

3 years ago

पहाड़ी लोकजीवन को जानने-समझने की बेहतरीन पुस्तक: मेरी यादों का पहाड़

हमारा समाज विविधताओं से भरा है, उतनी ही अनोखी हैं, हर क्षेत्र की लोकसंस्कृति व लोकपरम्पराऐं. कमोवेश प्रत्येक लोकजीवन की…

3 years ago

‘मेरा भी कोई होता’ एक सीधी-सादी पहाड़न की कहानी

आग जलाने के लिए चूल्हे में फूंक मार-मारकर सुशीला की आंखें लाल हो गई थीं. कमरा धुएं से भर गया…

3 years ago

मुझे पतंग उड़ाना सीख लेना चाहिए था

बहुत दूर तक नहीं जाती थी पतंग मेरीपश्चिम को बहती हवा अगरदो कलाइयां मारकर गिर जातीशिशू के आंगन, अनाथालय की…

3 years ago

कहानी : याद

सूरज धीरे-धीरे पहाड़ी के सिर पर से अपना आँचल समेट कर पल भर को ठिठका. गहरे नीले और काले आँचल…

3 years ago

एक जीवी, एक रत्नी, एक सपना : अमृता प्रीतम

पालक एक आने गठ्ठी, टमाटर छह आने रत्तल और हरी मिर्चें एक आने की ढेरी "पता नहीं तरकारी बेचनेवाली स्त्री…

3 years ago