कला साहित्य

महात्मा गाँधी को चिट्ठी पहुँचे : परसाई

यह चिट्ठी महात्मा मोहनदास करमचंद गाँधी को पहुंचे. महात्माजी, मैं न संसद-सदस्य हूँ, न विधायक, न मंत्री, न नेता. इनमें…

3 years ago

बिन ब्याही लड़की की चिता

पुराने समय की बात है. गोपिया एक दिन घर के आंगन में बैठे-बैठे अपनी दो-ढाई वर्ष की लड़की कुसुमा का…

3 years ago

लपूझन्ना जादू है!

किताब उठाते ही लगता है किसी जादूगर ने काले लंबे हैट में हाथ डालकर एक कबूतर निकाल दिया हो. किताब…

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अमरूद का पेड़

घर के सामने अपने आप ही उगते और फिर बढ़ते हुए एक अमरूद के पेड़ को मैं काफी दिनों से…

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पहाड़ के प्रेमचंद विद्यासागर नौटियाल की कहानी ‘एक शिकायत सबकी’

सौला- रूपसा से मैं पूछती हूँ, इस घर में मैं भी कोई हूँ या नहीं? वे अपनी माँ का पक्ष…

3 years ago

इस्मत चुगताई की विवादित कहानी ‘लिहाफ’

जब मैं जाड़ों में लिहाफ़ ओढ़ती हूँ, तो पास की दीवारों पर उसकी परछाईं हाथी की तरह झूमती हुई मालूम…

3 years ago

आंचलिक साहित्यिक कृति ‘हम तीन थोकदार’

वर्ष 2020 में उम्र के पचहत्तरवें पायदान में कदम रखते तीन थोकदारों का यह किस्सा शुरू हुआ जिसके पीछे गाँव…

3 years ago

भोलाराम का जीव : हरिशंकर परसाई

ऐसा कभी नहीं हुआ था… धर्मराज लाखों वर्षों से असंख्य आदमियों को कर्म और सिफारिश  के आधार पर स्वर्ग या…

3 years ago

पहाड़ी लोकजीवन को जानने-समझने की बेहतरीन पुस्तक: मेरी यादों का पहाड़

हमारा समाज विविधताओं से भरा है, उतनी ही अनोखी हैं, हर क्षेत्र की लोकसंस्कृति व लोकपरम्पराऐं. कमोवेश प्रत्येक लोकजीवन की…

3 years ago

‘मेरा भी कोई होता’ एक सीधी-सादी पहाड़न की कहानी

आग जलाने के लिए चूल्हे में फूंक मार-मारकर सुशीला की आंखें लाल हो गई थीं. कमरा धुएं से भर गया…

3 years ago