कला साहित्य

चप्पलों के अच्छे दिन

लंबे अरसे से वह बेरोज़गारों के पाँव तले घिसती हुई जिन्स की इमेज ढोती रही. उसका हमवार जूता, हर राह,…

7 months ago

प्रकृति का चितेरा कवि चन्द्रकुँवर बर्त्वाल : जन्मदिन विशेष

विश्व साहित्य के इतिहास पर नजर दौड़ाएं तो कई कवि ऐसे हुए हैं जिन्होंने बहुत कम उम्र में ही अपने…

7 months ago

व्यवस्था के चूहे से अन्न की मौत: हरिशंकर

इस देश में आदमी की सहनशीलता जबर्दस्त और तटस्थता भयावह है. पूरी व्यवस्था में मरे हुए चूहे की सड़ांध भरी…

7 months ago

कश्मीरी सेब : मुंशी प्रेमचंद

कल शाम को चौक में दो-चार ज़रूरी चीज़ें ख़रीदने गया था. पंजाबी मेवाफ़रोशों की दूकानें रास्ते ही में पड़ती हैं.…

7 months ago

कुन्चा : रं (शौका) समुदाय की एक कथा

-प्रताप गर्ब्याल सूरज ने अपने सातों अश्वों को अस्तबल में बांध लिया है किन्तु उत्ताप अभी भी बरकरार है. सांझ…

8 months ago

सड़क की भूख गाँवों को जोड़ने वाले छोटे रास्ते निगल गई

खेतों-बगीचों के बीच से गांव की तरफ जाने वाली पगडंडियों को चित्रकारों और कैमरामैनों की नजर से आपने खूब देखा…

9 months ago

तैमूर लंग की आपबीती

"मैं उल्लू की आवाज़ को अशुभ नहीं मानता, फिर भी इस आवाज़ से अतीत और भविष्य की यादों में खो…

9 months ago

मार्कण्डेय की कहानी ‘हंसा जाई अकेला’

वहाँ तक तो सब साथ थे, लेकिन अब कोई भी दो एक साथ नहीं रहा. दस-के-दसों अलग-अलग खेतों में अपनी…

9 months ago

पत्नी का पत्र

श्रीचरणकमलेषु, आज हमारे विवाह को पंद्रह वर्ष हो गए, लेकिन अभी तक मैंने कभी तुमको चिट्ठी न लिखी. सदा तुम्हारे…

9 months ago

गढ़वाल हिमालय के नैसर्गिक स्थलों और जनजीवन को चित्रित करती पुस्तक ‘परियों के देश खैट पर्वत में’

किसी भी स्थान अथवा क्षेत्र विशेष के इतिहास, समाज, संस्कृति और वहां की सभ्यता से साक्षात्कार करने की दिशा में…

10 months ago