एक अमीर आदमी के दो बेटे थे, जब वे बड़े हुए तब उसने दोनों को अपना व्यापार शुरू करने के…
अमृतसर से स्पेशल ट्रेन दोपहर दो बजे चली और आठ घंटों के बाद मुगलपुरा पहुंची. रास्ते में कई आदमी मारे…
'साधो, करमगती किन टारी...' - मिरदुला कानी, सीढ़ी के पथरौटे पर बैठी, मंजीरा कुटफुटा रही थी - 'कोस अनेक बिकट…
ज़हीर जब थर्ड ईयर में दाख़िल हुआ तो उस ने महसूस किया कि उसे इश्क़ हो गया है... और इश्क़…
अतीत पहाड़ों में वेगवान पवन और जलधाराओं के अतिरिक्त कुछ भी तो गतिमान नहीं है. सूरज तो उगता है पर…
सिंगल होना ब्रह्माण्ड का डिजाइन है. आदमी सिंगल पैदा होता है, सिंगल ही मरता है. चूंकि ये दोनों ही जीवन…
कल बसंतोत्सव था. कवि वसंत के आगमन की सूचना पा रहा था - प्रिय, फिर आया मादक वसंत. मैंने सोचा,…
बब्बन कार्बोनेट: द हो, अशोक पाण्डे की क्वीड़ पथाई के क्या कहते हो! पहाड़ की मौखिक कथा परम्परा में ‘क्वीड़’…
यह है कलकत्ता का बहूबाज़ार, जिसके एक ओर सरकारी अफ़सरों तथा महाजनों के विशाल भवन हैं और दूसरी ओर पीछे…
बहुत सारे मुखौटे हैँ एक दूसरे से अलग -थलग. सबकी सोच भी जुदा-जुदा सी. इनके पीछे छिपे चेहरे व्यवस्था की…