हरिधन जेठ की दुपहरी में ऊख में पानी देकर आया और बाहर बैठा रहा. घर में से धुआँ उठता नजर…
यह शहर मुझे तभी स्वीकार करेगा जब मैं सरकारी नौकरी पर लगूं, तरक्की पाता रहूं और अवकाश प्राप्त करके यहाँ…
भिटौली का महीना शुरू हो चुका था. अगल-बगल की महिलाओं की भिटौली पहुँचने लगी थी. कागज की पुड़िया में मिठाई-बतासे…
उस तरफ विपुल की आवाज़ थी. इस तरफ फोन के जाने कौन था. तब तक, जब तक मैं नहीं था!…
नदी तक पहुँचने की हड़बड़ाहट में उन्होंने गलत पगडंडी पकड़ ली. यह संकरा रास्ता था और ढलान तेज थी. वे…
जाखन नाम की वह नदी सौरी के लोगों को सपनों में बहती हुई दिखाई पड़ती थी. उनके सपनों के बाहर…
जुम्मन शेख़ और अलगू चौधरी में गाढ़ी मित्रता थी. साझे में खेती होती थी. कुछ लेन-देन में भी साझा था.…
चौधरी पीरबख़्श के दादा चुंगी के महकमे में दारोग़ा थे. आमदनी अच्छी थी. एक छोटा, पर पक्का मकान भी उन्होंने…
गाड़ी आने के समय से बहुत पहले ही महेंद्र स्टेशन पर जा पहुँचा था. गाड़ी के पहुँचने का ठीक समय…
भगवान नहीं है पावरोटी ! हां-हां पावरोटी चुराई थी उसने. सुना भाग रहा था. भागेगा नहीं तो क्या चोरी कर…