समाज

उत्तराखण्ड के सुदूर गांवों तक विकास का रथ कभी नहीं पहुंचता

इस बार एक लंबे अंतराल के बाद सुदूर हिमालय की तलहटी में बसे अपने सीमांत गाँव डौणू, बेरीनाग, जिला पिथौरागढ़…

4 years ago

ग्यांजू: एक जोशीले सरल पहाड़ी की लोककथा

वह एक तो शरीर से टेढ़ा-मेढ़ा बेढब था, दूसरा दिमाग से पैदल था. कोई भी बात उसकी समझ में देर…

4 years ago

शहर लौटने से पहले आमा और पोते के मन का उड़भाट

जगथली गाँव से दादा का संदेशा आया है कि बुधवार की सुबह पहली बस से निकलेंगे. गंगोलीहाट-हल्द्वानी वाली केमो आठ…

4 years ago

पहाड़ का संपन्न किसान शरणार्थी बन गया

आपदाएं आती हैं और चली जाती हैं. आपदाओं का विध्वंसक रूप कुछ दिनों अखबार और टीवी पर दिखता है. इसी…

4 years ago

कुमाऊं के गोपीदास मास्साब का गायन सुनने के लिये आपको जर्मनी जाना पड़ेगा

कुमाऊँ की सीमान्त शौका सभ्यता से ताल्लुक रखने वाली अनिन्द्य रूपवती राजुला और उसके प्रेमी राजकुमार मालूशाही की प्रेमकथा हमारे…

4 years ago

इगास: वंचितों को समर्पित लोकपर्व

जो छूट गए, जो पिछड़ गए हैं और जो अधिकारों से वंचित रह गए हैं, सरकारें उन्हें मुख्यधारा में लाने…

4 years ago

हिमालय की लोकदेवी झालीमाली

उत्तराखंड में देवी भगवती के नौ रूपों यथा- शैलपुत्री, ब्रहृमचारिणी, चन्द्रघंटा, कुशमांडा, स्कन्दमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धदात्री के अतिरिक्त…

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40 साल से भगवान बद्रीनाथ की नौबत बजाने वाले प्रभु दास नहीं रहे

बीते चालीस सालों से भगवान बदरी विशाल के मंदिर में रोज सुबह और रात नौबत बजाने वाले प्रभु दास जी…

4 years ago

एक तगड़े शर्मीले डोटियाल की कथा

नेपाल के डोटी गाँव से आया एक प्यारा-सा तगड़ा शरमीला किशोर ग्रामीण सोर घाटी में मजदूरी करता था. बोझा वह…

4 years ago

बभूत मंतरना: जिसकी एक फूंक से छल-छिद्र छूमंतर हो जाता है

पहाड़ में छल-छिद्र, भूत-मसाण आये दिन लगे ही हुये. गाड़ गधेरे से चिपटने वाले छल-छिद्र तो घर के बुजुर्ग एक…

4 years ago