समाज

‘अभागी पत्नी’ कुमाऊनी लोककथा

एक गांव में एक व्यापारी अपनी दो पत्नियों के साथ रहता था. दोनों पत्नियाँ आपस में खूब झगड़ा करती थी…

3 years ago

शंखनाद से कम आध्यात्मिक नहीं हिमालयी मवेशियों के गले में बंधी तिब्बती घंटियों के सुर

हिमालयी चरवाहों के मवेशियों के गले में बंधी तिब्बती घंटियाँ और उनकी ध्वनि भी इन चरवाहों के जीवन की तरह…

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पहाड़ों में चीड़ के पेड़ को अपवित्र मानने के पीछे की लोककथा

एक बार भादौ के महीने में गौरी कैलाश से अपने मायके के लिये निकलती हैं और रास्ता भटक जाती हैं.…

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शिवरात्रि के बाद कुमाऊं की होली में यौवन का रंग भरने लगता है

https://www.youtube.com/watch?v=E-rzeDDsiuI&list=PLyZyHtcUKK2UKKs3mnDI9845lwGVURGC4&index=5 कहते हैं शिवरात्रि के बाद कुमाऊं की होली में यौवन का रंग भरने लगता है. शिवरात्रि के दिन से…

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कुमाऊं का सबसे समृद्ध कौतिक था ‘ठुल थल’

कुमाऊं में लगने वाले मेलों में थल का मेला सबसे महत्वपूर्ण मेलों में शामिल रहा है जो धार्मिक और व्यापारिक…

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बुढ़िया के घर में नौसिखिया लड़का- लोककथा

एक बार एक बुढ़िया ने जातर ठीक करने के लिये कुंवर सिंह नाम के व्यक्ति को बुलावा भेजा. कुंवर सिंह…

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‘धूर्त सिपाही’ कुमाऊनी लोककथा

आहा तो हुआ जेठ के महीने की चटक धूप लगी हुई थी. सफ़र में निकला एक सिपाही भूखा और प्यासा…

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1935 में जब टिहरी में पहला रेडियो आया

बात 1935 की है, रियासत टिहरी पर महाराजा नरेन्द्रशाह का शासन था. रियासत भर में महाराजा के पास ही एकमात्र…

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हल्द्वानी के सिनेमाघरों का इतिहास

नगर से महानगर हो चुके हल्द्वानी ने अपने आसपास के गांवों को भी अपने में सम्मिलित कर लिया है. मुखानी…

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दीपचन्द शाह की बारात: उत्तराखंड का सबसे ऐतिहासिक विवाह

दलितों की बारात पहाड़ में पहले बिना डोला-पालकी की चलती थी और दूर से ही पहचानी जाती थी. किन्तु टिहरी-गढ़वाल…

3 years ago