एक गांव में एक व्यापारी अपनी दो पत्नियों के साथ रहता था. दोनों पत्नियाँ आपस में खूब झगड़ा करती थी…
हिमालयी चरवाहों के मवेशियों के गले में बंधी तिब्बती घंटियाँ और उनकी ध्वनि भी इन चरवाहों के जीवन की तरह…
एक बार भादौ के महीने में गौरी कैलाश से अपने मायके के लिये निकलती हैं और रास्ता भटक जाती हैं.…
https://www.youtube.com/watch?v=E-rzeDDsiuI&list=PLyZyHtcUKK2UKKs3mnDI9845lwGVURGC4&index=5 कहते हैं शिवरात्रि के बाद कुमाऊं की होली में यौवन का रंग भरने लगता है. शिवरात्रि के दिन से…
कुमाऊं में लगने वाले मेलों में थल का मेला सबसे महत्वपूर्ण मेलों में शामिल रहा है जो धार्मिक और व्यापारिक…
एक बार एक बुढ़िया ने जातर ठीक करने के लिये कुंवर सिंह नाम के व्यक्ति को बुलावा भेजा. कुंवर सिंह…
आहा तो हुआ जेठ के महीने की चटक धूप लगी हुई थी. सफ़र में निकला एक सिपाही भूखा और प्यासा…
बात 1935 की है, रियासत टिहरी पर महाराजा नरेन्द्रशाह का शासन था. रियासत भर में महाराजा के पास ही एकमात्र…
नगर से महानगर हो चुके हल्द्वानी ने अपने आसपास के गांवों को भी अपने में सम्मिलित कर लिया है. मुखानी…
दलितों की बारात पहाड़ में पहले बिना डोला-पालकी की चलती थी और दूर से ही पहचानी जाती थी. किन्तु टिहरी-गढ़वाल…