31 जुलाई, 1922 को भारत रत्न पंडित गोविन्द बल्लभ पंत के संरक्षण में कुमाऊँ के प्रतिष्ठित नागरिकों सर्व श्री मथुरा…
मैं बुकिल हॅू, कुछ लोग मुझे बकौल भी बोलते हैं. वह बकौल नहीं, जो अरबी भाषा का शब्द होते हुए…
लाग हरैला, लाग बग्वालीजी रया, जागि रयाअगास बराबर उच्च, धरती बराबर चौड है जयास्यावक जैसी बुद्धि, स्योंक जस प्राण है…
पहाड़ियों के घर में आज हरेला तैयार हो चुका होगा. हरेला यानी पांच या सात प्रकार के अनाजों की हरी-पीली…
आजकल तो चौमास या बरसात के महिनों में एक डर बना रहता है कि कहां पहाड़ दरक जाये, कहां नदी…
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree उत्तराखंड के पहाड़ों में रहने वाले लोग कुदरत…
आजकल इग्लिश मीडियम में बच्चों को पढाने का चलन है. कहते हैं समय के साथ जरूरी है, बच्चों का विकास…
स्वतंत्र फोटोग्राफर पत्रकार और सोशल एक्टिविस्ट स्व. कमल जोशी की फोटोग्राफी में पहाड़ का जीवन, दर्द वहां की परंपराएं और…
पहाड़ में लड़के का परदेश जाना बेटी की विदाई से कम नहीं होता था. जो लोग हमारी उमर के हैं…
1968-69 का अल्मोड़ा शहर और उसकी शांत मॉल रोड जिस पर बड़े डाकख़ाने के निकट स्थित था, अल्मोड़े का प्रमुख…