समाज

कुमाऊंनी लोकगीतों में सामाजिक चित्रण भाग – 2

पिछली कड़ी विवाहोपरान्त पुत्री की विदाई सर्वत्र करूण होती है. वह मां की दुलारी है, जिसने उसे पालपोस कर बड़ा…

6 years ago

कुमाऊंनी लोकगीतों में सामाजिक चित्रण भाग 1

लोकगीतों से हमारा तात्पर्य लोक साहित्य के उन रूपों से है, जो प्रायः अलिखित रहकर जन-साधारण द्वारा निर्मित होते हुए…

6 years ago

मध्यकालीन गढ़वाल राजनीति का चाणक्य भाग – 2

पिछली कड़ी कूटनीतिज्ञ पूरिया नैथानी की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण यात्रा 1680 में मुग़ल दरबार में रही. मुग़ल सम्राट औरंगजेब ने…

6 years ago

मध्यकालीन गढ़वाल राजनीति का चाणक्य भाग – 1

मध्यकालीन गढ़वाल की राजनीति जिसे गढ़ नरेशों के युग से भी जाना जाता है, में कुछ असाधारण व्यक्तियों ने अपनी…

6 years ago

रामलीला पर्वतीय जनजीवन की ‘लाइफ-लाइन’

रामलीला भारतीय जनमानस की एक ऐसी तस्वीर है, जिसमें कोई भी भारतीय अछूता नहीं है. राम ऐसे जननायक थे कि…

6 years ago

स्वतंत्रता आन्दोलन में उत्तराखण्ड की महिलाएं भाग – 3

पिछला भाग जागृत महिला समाज के इन प्रयत्नों के फलस्वरूप ही कुछ समय के लिए पौड़ी व नन्दप्रयाग में महिलाओं…

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रामलीला के बहाने नये – नये प्रयोग भाग : 2

पिछली कड़ी तो एक बार भवाली की टीम को ‘राम वनवास’ वाला प्रसंग मिला प्रस्तुति के लिये. राम-लक्ष्मण का वनवासी…

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शुक्र है कबीर

शुक्र है कबीर!! तुम सल्तनत युग में पैदा हुए. आज होते तो कोई नामी कटटरवादी संगठन तुम्हारी जान का प्यासा…

6 years ago

रामलीला के बहाने नये – नये प्रयोग भाग : 1

कुमाऊॅं (उत्तराखण्ड) में प्रचलित रामलीला सम्भवतः संसार का एक मात्र ऐसा गीत नाट्य है जो ग्यारह दिनों तक लगातार क्रमशः…

6 years ago

हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने – 19

बात स्वराज आश्रम से चल कर आजादी के दीवानों की हो रही थी. इसी क्रम में वर्तमान राजनीति पर चर्चा…

6 years ago