समाज

आजादी के वक्त कुल डेढ़ हजार मकान थे समूचे हल्द्वानी-काठगोदाम में

सन 1947 में हल्द्वानी-काठगोदाम नगरपालिका क्षेत्र में अधिकतम 39 मोहल्ले और 1608 मकान थे. एक हाईस्कूल, एक डाक्टर वाला नागरिक…

5 years ago

चम्पावत का बालेश्वर मंदिर: कमल जोशी के फोटो

कुमाऊँ में टनकपुर से लगभग 75 किमी दूर 1670 मीटर की ऊंचाई पर स्थित चम्पावत का मशहूर बालेश्वर मंदिर शिल्प…

5 years ago

कुमाऊं के रं समाज को जानने के लिए बहुत जरूरी है चार्ल्स शेरिंग की किताब

चार्ल्स शेरिंग की किताब ‘वेस्टर्न तिब्बत एंड ब्रिटिश बॉर्डरलैंड’ साल 1906 में लन्दन के एडवर्ड आर्नल्ड प्रकाशन ने छापी थी.…

5 years ago

ऐतिहासिक रहा है चनौदा का गांधी आश्रम

1929 में महात्मा गांधी ने कुमाऊं की यात्रा की थी. 22 दिनों की इस यात्रा में उनका लक्ष्य क्षेत्रीय स्तर…

5 years ago

‘अम टो मिस्टर हो गया अब यूरप जाना मांगटा है’ – उत्तराखंड के स्वाधीनता संग्राम का एक अनछुआ पहलू

1920 का दशक था. भारत में उन दिनों स्वतन्त्रता आन्दोलन बहुत तेजी से फ़ैल रहा था. राष्ट्रीय चेतना अपने पाँव…

5 years ago

मसूरी में 15000 प्लास्टिक बोतलों से बनी उम्मीद की दीवार

भारत में 80 प्रतिशत प्लास्टिक को बिना रीसाइकल किये ही फेंक दिया जाता है. आज हमारे घरों में रसोई घर…

5 years ago

पहाड़ियों को बहुत प्रिय है घुघूती

पहाड़ों में जिन पक्षियों ने जनमानस को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है उनमें से एक है घुघूती. इससे जुड़े गीतों…

5 years ago

बल्दिया एकादशी: बैलों की छुट्टी और मौज-मस्ती का दिन

उत्तराखंड का बहुजन समाज मुख्यतः कृषक और पशुपालक रहा है. इनके लिए जमीन और पशुधन सबसे ज्यादा प्रिय और कीमती…

5 years ago

पहाड़ की तीस हज़ार कहानियां कह सकती हैं अमित साह की ये तीन तस्वीरें

काफल ट्री के नियमित पाठक युवा फोटोग्राफर अमित साह के नाम से परिचित हैं. उनके काम की अनेक शानदार बानगियाँ…

5 years ago

पटरंगवाली: अफवाह जिसके फैलने से रेशम पर चटख रंग चढ़ता

पटौव्वा रंगवाली, पटवाली या पटरंगवाली शब्द का मतलब है अफवाह. इसकी उत्पत्ति 758-778 ई. में चंद शासक इन्द्रचंद के शासनकाल…

5 years ago