इतिहास

1985 में पौड़ी गढ़वाल पर लिखा एक महत्वपूर्ण लेख

अपने भाग्य पर आंशू बहती पौड़ी उत्तर प्रदेश के बारह प्रशासनिक मण्डलों में एक से एक गढ़वाल मंडल का मुख्यालय…

1 year ago

इतिहास का विषय बन चुकी हैं उत्तराखण्ड के पर्वतीय अंचलों की पारम्परिक पोशाकें

विश्व के अन्य भागों की भाँति ही उत्तराखण्ड की संस्कृति भी अपने आप में समृद्ध रही है, परन्तु आधुनिकता की…

1 year ago

अंग्रेजी ने बिगाड़ा इस ख़ूबसूरत पहाड़ी कस्बे का नाम

'बेरीनाग शब्द 'बेड़ीनाग' का अपभ्रंश है. बेड़ीनाग का अर्थ लिपटे हुए नाग से है. समझा जाता है कि अंग्रेजी में…

1 year ago

उत्तराखंड में खेती

खेती के इतिहास का सभ्यता के विकास के साथ अटूट सम्बन्ध है. इसी के आधार पर मनुष्य अपने समाज की…

1 year ago

तब कुछ ऐसी हुआ करती थी पाली पछाऊँ के लोगों की जीवनचर्या

सर्वप्रथम पाली पछाऊँ शब्द की व्युत्पत्ति कत्यूरी शासन काल में हुई. उत्तराखण्ड में कत्यूरी शासनकाल के दौरान कत्यूरी शासकों की…

1 year ago

जोहार की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

वर्तमान का अतीत में समाहित होकर भविष्य में उजागर होना ही इतिहास है. यह आलेख, शिलालेख, गुहा चित्र, ताम्र पत्र,…

1 year ago

कुमाऊं का ऐसा गुप्त संगठन जिसकी सदस्यता खून से हस्ताक्षर करने पर ही मिलती थी

भारत की स्वतंत्रा के लिए राष्ट्रीय आन्दोलन में अनेक रूपों में जनता ने अपना योगदान दिया. देश के कोने-कोने में…

2 years ago

गढ़वाल का शहर, दुगड्डा : रूह है पर आब उड़ गई

-भगवतीप्रसादजोशी , 'हिमवन्तवासी ' यू.पी. में पुख्ता बुनियाद वाले जिला बिजनौर में नवाब नजीबुद्दौला द्वारा बसाए  गए और दिल दिलेर…

2 years ago

अस्कोट रियासत पर एक महत्वपूर्ण लेख

अस्कोट में कुल क्षेत्रफल प्रति एकड़ चार आना नौ पाई राजस्व निर्धारित है जबकि कृषि भूमि पर यह दर सात…

2 years ago

भारतीय इतिहास लेखन में क्षेत्रीय इतिहास की भूमिकाः उत्तराखण्ड के संदर्भ में

भारत के प्रथम ऐतिहासिक ग्रंथ राजतरंगिणी के रचियता कल्हण ने ठीक ही कहा है—  श्लाध्यः स एव गुणवान् रागद्वेष बहिष्कृता भूतार्थकथने…

2 years ago