इतिहास

1888 में अंग्रेजी मिडिल स्कूल की तरह शुरू हुआ था हल्द्वानी का एम. बी. कॉलेज1888 में अंग्रेजी मिडिल स्कूल की तरह शुरू हुआ था हल्द्वानी का एम. बी. कॉलेज

1888 में अंग्रेजी मिडिल स्कूल की तरह शुरू हुआ था हल्द्वानी का एम. बी. कॉलेज

[पिछली क़िस्त: 1901 में बाबू रामप्रसाद मुख्तार ने बनवाया था हल्द्वानी का आर्य समाज भवन] आज जिस एम. बी. राजकीय…

6 years ago
फ्वां बाघा रे वाले खतरनाक नरभक्षी बाघ की असल रोमांचक दास्तानफ्वां बाघा रे वाले खतरनाक नरभक्षी बाघ की असल रोमांचक दास्तान

फ्वां बाघा रे वाले खतरनाक नरभक्षी बाघ की असल रोमांचक दास्तान

आजकल पहाड़ों में ही नहीं देश-विदेश में “फ्वां बाघा रे” गीत की बहुत चर्चा है. यह गीत इतिहास की  एक…

6 years ago
‘तीलै धारू बोला’ कहीं उत्तराखण्डी महिलाओं की व्यथा-कथा तो नहीं?‘तीलै धारू बोला’ कहीं उत्तराखण्डी महिलाओं की व्यथा-कथा तो नहीं?

‘तीलै धारू बोला’ कहीं उत्तराखण्डी महिलाओं की व्यथा-कथा तो नहीं?

जब से हमने होश संभाला, कुमांऊनी का गाना – ‘चैकोटकि पारबती तीलै धारू बोला बली, तीलै धारू बोला’ अथवा ‘ओ…

6 years ago
1901 में बाबू रामप्रसाद मुख्तार ने बनवाया था हल्द्वानी का आर्य समाज भवन1901 में बाबू रामप्रसाद मुख्तार ने बनवाया था हल्द्वानी का आर्य समाज भवन

1901 में बाबू रामप्रसाद मुख्तार ने बनवाया था हल्द्वानी का आर्य समाज भवन

[पिछ्ला भाग: हल्द्वानी का प्राचीन मंदिर जिसकी संपत्ति का विवाद सुप्रीम कोर्ट तक लड़ा गया] सन 1901 में बाबू रामप्रसाद…

6 years ago
हल्द्वानी का प्राचीन मंदिर जिसकी संपत्ति का विवाद सुप्रीम कोर्ट तक लड़ा गयाहल्द्वानी का प्राचीन मंदिर जिसकी संपत्ति का विवाद सुप्रीम कोर्ट तक लड़ा गया

हल्द्वानी का प्राचीन मंदिर जिसकी संपत्ति का विवाद सुप्रीम कोर्ट तक लड़ा गया

[पिछ्ला भाग: तब बची गौड़ धर्मशाला ही यात्रियों के लिए इकलौता विश्राम स्थल थी हल्द्वानी में – 1894 में बनी]…

6 years ago
तब बची गौड़ धर्मशाला ही यात्रियों के लिए इकलौता विश्राम स्थल थी हल्द्वानी में – 1894 में बनीतब बची गौड़ धर्मशाला ही यात्रियों के लिए इकलौता विश्राम स्थल थी हल्द्वानी में – 1894 में बनी

तब बची गौड़ धर्मशाला ही यात्रियों के लिए इकलौता विश्राम स्थल थी हल्द्वानी में – 1894 में बनी

[एक ज़माने में तराई-भाबर का भी इकलौता बाजार था हल्द्वानी का मंगल पड़ाव] हल्द्वानी में आने-जाने वालों के लिए इकलौता…

6 years ago
एक ज़माने में तराई-भाबर का भी इकलौता बाजार था हल्द्वानी का मंगल पड़ावएक ज़माने में तराई-भाबर का भी इकलौता बाजार था हल्द्वानी का मंगल पड़ाव

एक ज़माने में तराई-भाबर का भी इकलौता बाजार था हल्द्वानी का मंगल पड़ाव

हल्द्वानी में पहले हल्दू के पेड़ बहुतायत में हुआ करते थे इसलिए उसे हल्द्वानी कहा जाने लगा. वर्तमान हल्द्वानी के…

6 years ago
भारती कैंजा और पेड़ के साथ उनकी शादीभारती कैंजा और पेड़ के साथ उनकी शादी

भारती कैंजा और पेड़ के साथ उनकी शादी

भारती कैंजा अपने भाई-बहिनों में सबसे छोटी है, लेकिन जीवट में सबसे बड़ी. वह कभी किसी से फालतू नहीं बोलती.…

6 years ago
पिथौरागढ़ में पहली बस 1951 में आई थीपिथौरागढ़ में पहली बस 1951 में आई थी

पिथौरागढ़ में पहली बस 1951 में आई थी

पिथौरागढ़ में पहली गाड़ी के विषय में कई किस्से कहानियां लोकप्रिय हैं. अधिकांश लोगों का मानना है कि यहां आने…

6 years ago
कुमाऊं के स्थापत्य का नगीना है चम्पावत का एक हथिया नौलाकुमाऊं के स्थापत्य का नगीना है चम्पावत का एक हथिया नौला

कुमाऊं के स्थापत्य का नगीना है चम्पावत का एक हथिया नौला

चम्पावत से ढकना गांव (चम्पावत-अल्मोड़ा पुराना पैदल मार्ग) तक तीन किमी. और ढकना से चम्पावत-मायावती पैदल मार्ग से लगभग चार…

6 years ago