इतिहास

बैरासकुण्ड: जहां रावण ने मुण्डों की आहूति देकर ब्रह्मा जी को रिझाया था

उत्तराखण्ड के जिस स्थान पर रावण ने मुण्डों की आहूति देकर पितामह ब्रह्मा को रिझाया था, उस स्थान का नाम…

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अद्भुत है उत्तराखंड में रामलीलाओं के मंचन की परम्परा

प्राचीनकाल से ही उत्तराराखण्ड का सम्बन्ध रामभक्ति परम्परा से रहा है. डॉ0 शिवप्रसाद नैथानी के कथनानुसार - श्रीराम कथा के…

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गढ़वाल में रामलीला के मंचन का इतिहास

रामलीला पर्वतीय प्रदेश उत्तराखण्ड के विभिन्न स्थानों में आयोजित की जाती रही है, जिनमें सर्वप्रथम अल्मोड़ा कुमांउनी रामलीला की जन्मस्थली…

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कुमाऊं के पंत ब्राह्मणों का पश्चिमी एशिया से संबंध

आठवीं शताब्दी में गुजरात में मुसलमान आक्रमणकारियों द्वारा सत्ता हथिया ली गई थी. यह संभव है कि उस समय कोई…

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भोटान्तिक व्यापार के रास्ते, तरीके और माल असबाब

मल्ला दारमा के भोटान्तिकों का व्यापार पथ जो अजपथ और अश्व पथ से विकसित हुआ वह दारमा दर्रे (18510फ़ीट) से…

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जिनके बिना भवाली का इतिहास अधूरा है

ब्रिटिश शासन के दौरान ही भवाली के पास नैनीताल-हल्द्वानी रोड पर लगभग एक किमी की दूरी पर वर्ष 1912 में…

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26 बरस बाद भी उत्तराखंड के सीने पर मुजफ्फरनगर गोलीकाण्ड के घाव हरे हैं

“जो घाव लगे और जाने गयीं वे प्रतिरोध की राजनीति की कीमत थी”,1996 में इलाहबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति रवि…

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अतीत के पन्नों में भवाली की राजनैतिक व साहित्यिक भागीदारी

जिक्र भवाली चौराहे का आता है, तो कई यादें दिलो-दिमाग पर तैरने लगती हैं. भवाली का इतिहास, आजादी के पूर्व…

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अतीत के पन्नों में भवाली की दो बहिनें ब्लोसम और ब्लांची

रानीखेत रोड से बाजार की तरफ बढ़ने पर बाईं ओर एमईएस परिसर की तरफ पक्के पैराफिट से लगे कई कच्चे…

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आज़ादी के बाद भवाली के इतिहास के पन्ने और मां काली के उपासक श्यामा बाबा

साल 1964 का जुलाई का महीना रहा होगा, जब भवाली के गोबिन्द बल्लभ पन्त हायर सेकेन्डरी स्कूल में दर्जा 6…

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