नैनीताल में शेरवानी लौज के पन दा की चाय जिसने एक बार पी ली तो समझो वह उस चाय का…
ब्रह्मकमल और मोनाल को भले राज्य पक्षी एवं राज्य पुष्प का सम्मानजनक ओहदा मिल चुका हो, लेकिन लोकजीवन व लोकसाहित्य…
सर्दियों का मौसम आते ही आप पहाड़ के किसी गांव की ओर चले जायें, आपको छत पर तथा दन्यारों पर…
छुटपन में बच्चे जब किसी चीज के लिए जिद करते तो डराया जाता - चुप जा, नहीं तो 'हुणियां’ आ…
उत्तराखण्ड में 500 से 2200 मीटर की ऊॅचाई पर बहुतायत से पाये जाने वाले चीड़ के पेड़ों की पत्तियों को…
उन्नीस साल के युवा उत्तराखण्ड को एक लाइलाज रोग लग गया है - पलायन का. इस रोग की गम्भीरता ऐसी…
आचार्य नरेन्द्र देव की 130 वीं जयन्ती पर विशेष : आचार्य नरेन्द्र देव का बहुमुखी व्यक्तित्व ही ऐसा था कि…
उत्तराखण्ड का लोकमानस जिस प्रकार अपनी सभ्यता व संस्कृति की एक अलग पहचान रखता है, उसी तरह यहां के लोकसाहित्य…
जब से हमने होश संभाला, कुमांऊनी का गाना – ‘चैकोटकि पारबती तीलै धारू बोला बली, तीलै धारू बोला’ अथवा ‘ओ…
भले कुमांउनी भाषा न होकर अभी तक बोली ही मानी जायेगी, क्योंकि न तो इस का मानकीकरण हुआ है और…