भुवन चन्द्र पन्त

नैनीताल में शेरवानी लौज के पन दा की कड़क चाय

नैनीताल में शेरवानी लौज के पन दा की चाय जिसने एक बार पी ली तो समझो वह उस चाय का…

5 years ago

घुघुती, प्योली व काफल पर्वतीय लोकजीवन के कितने करीब

ब्रह्मकमल और मोनाल को भले राज्य पक्षी एवं राज्य पुष्प का सम्मानजनक ओहदा मिल चुका हो, लेकिन लोकजीवन व लोकसाहित्य…

5 years ago

पहाड़ी लाल कद्दू की ज़ायकेदार चटनी

सर्दियों का मौसम आते ही आप पहाड़ के किसी गांव की ओर चले जायें, आपको छत पर तथा दन्यारों पर…

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जब पहाड़ों में मां रोते हुए बच्चे से कहती थी चुप जा नहीं तो ‘हुणियां’ आ जायेगा

छुटपन में बच्चे जब किसी चीज के लिए जिद करते तो डराया जाता - चुप जा, नहीं तो 'हुणियां’ आ…

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पिरूल के व्यावसायिक उपयोग से फायदे ही फायदे

उत्तराखण्ड में 500 से 2200 मीटर की ऊॅचाई पर बहुतायत से पाये जाने वाले चीड़ के पेड़ों की पत्तियों को…

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ग्रेजुएट ब्वारियों की चाहत बनाम पहाड़ से पलायन : उत्तराखण्ड स्थापना सप्ताह पर विशेष

उन्नीस साल के युवा उत्तराखण्ड को एक लाइलाज रोग लग गया है - पलायन का. इस रोग की गम्भीरता ऐसी…

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आचार्य नरेन्द्र देव जिन्हें अपना संस्कार-पिता मानते थे नैनीताल के प्रताप भैया

आचार्य नरेन्द्र देव की 130 वीं जयन्ती पर विशेष : आचार्य नरेन्द्र देव का बहुमुखी व्यक्तित्व ही ऐसा था कि…

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उत्तराखण्डी गीतों में ‘अस्यारी को रेटा’ का मतलब

उत्तराखण्ड का लोकमानस जिस प्रकार अपनी सभ्यता व संस्कृति की एक अलग पहचान रखता है, उसी तरह यहां के लोकसाहित्य…

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‘तीलै धारू बोला’ कहीं उत्तराखण्डी महिलाओं की व्यथा-कथा तो नहीं?

जब से हमने होश संभाला, कुमांऊनी का गाना – ‘चैकोटकि पारबती तीलै धारू बोला बली, तीलै धारू बोला’ अथवा ‘ओ…

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फतोड़ना कि गदोरना – अद्भुत है कुमाऊनी भाषा का शब्द भण्डार

भले कुमांउनी भाषा न होकर अभी तक बोली ही मानी जायेगी, क्योंकि न तो इस का मानकीकरण हुआ है और…

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