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उत्तराखंड: योग की राजधानी

योग की भूमि उत्तराखंड, तपस्या से भरा राज्य जिसे सचमुच देवताओं की भूमि कहा जाता है, हिमालय की गोद में बसा है और न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, बल्कि भारत में उन स्थानों में से एक है जहाँ योग और ध्यान की प्राचीन परंपराएँ विकसित हुई थीं. यह वह भूमि है जो हज़ारों सालों से योग और ध्यान के केंद्र के रूप में काम कर रही है, जहाँ लोग अपनी आत्मा को शांति और ऊर्जा दोनों से भरने आते हैं. (Capital of Yoga
Uttarakhand)

उत्तराखंड में, योग अपने धार्मिक और सांस्कृतिक इतिहास में गहराई से समाया हुआ है. ऋषिकेश और हरिद्वार जैसे स्थान, जहाँ पवित्र नदी गंगा बहती है, योग के मुख्य केंद्र माने जाते हैं. यहीं पर प्राचीन ऋषियों और संतों ने योग और ध्यान के माध्यम से अपने भीतर दिव्यता का आत्म-साक्षात्कार प्राप्त किया है. महर्षि पतंजलि ने योग सूत्र लिखकर मनुष्यों को सिखाया कि यह जीवन जीने का तरीका है, क्योंकि यह परंपरा आज भी उत्तराखंड में जीवित है.

ऋषिकेश को “योग की राजधानी” कहा जाता है. यह शहर न केवल भारतीयों के लिए बल्कि दुनिया भर के लोगों के लिए योग का अभ्यास करने और आत्मा की आंतरिक शांति प्राप्त करने के लिए आवश्यक स्थानों में से एक बन गया है. यहाँ के आश्रम, जैसे परमार्थ निकेतन, स्वर्ग आश्रम और कई अन्य संस्थान, योग और ध्यान सिखाते हैं. अंतर्राष्ट्रीय योग का उत्सव हर साल यहाँ होता है और ऐसा करने से दुनिया भर से हज़ारों योग प्रेमी यहाँ आते हैं.

उत्तराखंड का प्राकृतिक वातावरण योग के लिए स्वर्ग है. बर्फ से ढके पहाड़, शांत जंगल और बहती गंगा की धारा ऐसे तत्व हैं जो मन और आत्मा को जोड़ते हैं. यहाँ की हर जगह ऐसी लगती है जैसे योग का अभ्यास करने के लिए ही बनी हो. गंगा के किनारे बैठकर योग करना या हिमालय की ऊंचाइयों पर ध्यान लगाना, व्यक्ति अपने भीतर के तनाव और असंतुलन से छुटकारा पा सकता है. उत्तराखंड में योग केवल एक शारीरिक व्यायाम नहीं है; यह एक आध्यात्मिक यात्रा है. यह वह भूमि है जहाँ योग और प्रार्थना की जड़ें बहुत गहरी हैं. बद्रीनाथ, केदारनाथ और गंगोत्री जैसे स्थानों पर योग और ध्यान का अनुभव आत्मा पर गहरा प्रभाव डालता है.

उत्तराखंड तेजी से नंबर वन योग गंतव्य के रूप में उभर रहा है. इसके अलावा, यहां के योग और आयुर्वेद केंद्र न केवल शरीर को शारीरिक रूप से फिट रखने में मदद करते हैं, बल्कि वे मन और आत्मा को भी सशक्त बनाते हैं. इसके अलावा, सरकार योग को बढ़ावा देने के लिए यहां कई परियोजनाएं चला रही है. उत्तराखंड वास्तव में योग की भूमि है, जहां प्रकृति और आध्यात्म एक साथ मिलते हैं. यहां न केवल योग का अभ्यास किया जा सकता है, बल्कि आंतरिक शांति और जीवन के वास्तविक उद्देश्य की खोज भी की जा सकती है. उत्तराखंड में योग केवल एक पारंपरिक व्यायाम नहीं है, बल्कि आत्मा की गहराई में जीवन जीने की एक विधि है. (Capital of Yoga Uttarakhand)

रुद्रपुर की रहने वाली ईशा तागरा और देहरादून की रहने वाली वर्तिका शर्मा जी. बी. पंत यूनिवर्सिटी ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, पंतनगर में कम्युनिटी साइंस की छात्राएं हैं, फ़िलहाल काफल ट्री के लिए रचनात्मक लेखन कर रही हैं.

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Sudhir Kumar

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