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क्रिकेट इतिहास का सबसे घटिया फैसला और 45 आल आउट

एक फाइनल, नौ जीरो

पिछली क़िस्त में आपने पढ़ा किस तरह वेस्ट इंडीज ने विव रिचर्ड्स और जोएल गार्नर के शानदार प्रदर्शनों के बूते पर 1979 के विश्वकप का फाइनल अपने नाम कर लिया था. इस फाइनल से सम्बंधित एक संयोग का जिक्र रह गया था. इस फाइनल में महत्वपूर्ण रोल निभाने वाली वेस्ट इंडीज की पेस चौकड़ी ने बल्ले से एक भी रन नहीं बनाया. एंडी रोबर्ट्स, माइकेल होल्डिंग, जोएल गार्नर और क्रॉफ्ट ने कुल मिलाकर चार डक अपने नाम किये. इसके प्रतिशोध में इन गेंदबाजों ने ऐसी जबरदस्त बोलिंग की कि इंग्लैण्ड के पांच बल्लेबाज – डेविड गावर, वेन लार्किंस, क्रिस ओल्ड, बॉब टेलर और माइक हेंड्रिक – को बिना खाता खोले पैविलियन जाना पड़ा. यानी कुल मिलाकर इस फाइनल में नौ खिलाड़ियों ने अपना खाता नहीं खोला. (Canada Unfortunate World Cup Venture)

कनाडा का पहला विश्वकप

1979 के विश्वकप में खेलने उतरी कनाडा की टीम ने अपनी ख्याति के अनुरूप बहुत ही खराब प्रदर्शन किया. लेकिन जिस तरह वे खेले वह शर्मनाक था. अपने तीन मैचों में कनाडा कुल तीन सौ रन भी नहीं बना सकी.

इनमें से एक मैच में एक लिहाज से कनाडा थोड़ी सी बदकिस्मत भी रही. 13 जून जिस दिन इंग्लैण्ड के साथ मैच खेला जाना था लेकिन उस दिन सुबह से बारिश होने के कारण मैच अगले दिन खेले जाने का फैसला हुआ. लेकिन अगली सुबह भी बारिश होती रही. बड़ी मुश्किल से खेल शुरू हो सका. और कनाडा के कप्तान ब्रायन मौरीसेट ने टॉस जीता. गीले मैदान, बादल और हवा में मौजूद नमी के बावजूद मौरीसेट ने क्रिकेट इतिहास का सबसे घटिया फैसला लिया और पहले बैटिंग चुनी. (Canada Unfortunate World Cup Venture)

45 आल आउट

इंग्लैण्ड के गेंदबाजों ने ऐसा कहर बरपाया कि सिवाय फ्रैंकलिन डेनिस (99 गेंद में 22 रन) के कोई भी कनाडाई बल्लेबाज दहाई का अंक न छू सका. क्रिस ओल्ड और बॉब विलिस की घातक गेंदबाजी के सामने कनाडा के खिलाड़ी नाचते नज़र आये और 40 ओवर्स में पूरी टीम कुल 45 रनों पर निबट गयी. जाहिर है इंग्लैण्ड ने आसानी से मैच जीत लिया. कुछ देर बाद फिर से बारिश शुरू हो गयी.

बॉब विलिस

क्रिस ओल्ड

कहने वाले कहते हैं की अगर मौरीसेट ने थोड़ी सी भी अक्ल लगाई होती और पहले गेंदबाजी की होती तो इंग्लैण्ड आसानी से 60 ओवर्स तक खेलता रहता और शायद मैच ड्रा पर समाप्त होता. यह भी संभव था कि दूसरी पारी में खेलते हुए कनाडा की वैसी धज्जियां न उड़तीं. उनका स्कोर लम्बे समय तक सीमित ओवर क्रिकेट का न्यूनतम स्कोर बना रहा जिसे बाद में ज़िम्बाब्वे ने तोड़ा.

इस बार 36

इसके अगले बीस बाईस साल कनाडा की क्रिकेट अँधेरे में ही रही जब तक कि उसने 2003 के विश्वकप के लिए क्वालीफाई नहीं कर लिया. इस बार कनाडा ने धमाका करते हुए बंगलादेश को 60 रनों से हरा दिया. लेकिन उनके दुर्भाग्य ने उनका पीछा नहीं छोड़ा और उन्होंने ज़िम्बाब्वे को पीछे छोड़ते हुए श्रीलंका के खिलाफ 36 रनों पर आल आउट होने का कारनामा कर डाला. यह अलग बात है कि अगले ही साल ज़िम्बाब्वे ने अपना रेकॉर्ड वापस छीन लिया और एक मैच में 35 रनों पर धराशाई हो गयी.

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