समाज

मुनस्यारी से शरद ऋतु का पहला चांद: फोटो निबन्ध

सदियों से चांद के प्रति इंसान का आकर्षण तीव्र रहा. जिस भी जगह मानव सभ्यता के साक्ष्य मिले हैं वहां चांद के प्रति इंसानी आकर्षण मौजूद है. कोई समाज ऐसा न होगा जिसमें चांद को लेकर कथा और गीत न होंगे.
(Blue Moon Photos Khaliya Top Munsiyari)

आज भले इंसान ने चांद पर कदम रख लिया है. चांद के भीतर के गड्ढे और धूल तक सभी ने देख लिये हैं फिर भी चांद के लिये इंसान का बच्चों जैसा व्यवहार नहीं बदला है. फिर समुद्र हो या पहाड़ हो चांद इंसान को अपने काबू में अब भी रखता है.

आज भी उगता हुआ चांद इंसान को रोक लेता है. आज भी चांद की खूबसूरती के आगे सबकुछ फ़ीका है. चांद जैसा सुन्दरता का दूसरा कोई पैमाना अब भी नहीं बना है.

बीते महीने 31 अक्टूबर के दिन खलिया टॉप के जीरो पाइंट से रवि वल्दिया द्वारा ली गयी चांद की कुछ खूबसूरत तस्वीरें देखिये:
(Blue Moon Photos Khaliya Top Munsiyari)

रवि वल्दिया की फोटोग्राफी आनन्द लेने के लिये उन्होंने इंस्टाग्राम और फेसबुक पर भी फॉलो किया जा सकता है :

रवि वल्दिया का फेसबुक पेज : Ravi Valdiya Photography

रवि वल्दिया का इंस्टाग्राम अकाउंट : ravi.valdiya
(Blue Moon Photos Khaliya Top Munsiyari)

पेशे से फोटोग्राफर रवि वल्दिया पिथौरागढ़ के रहने वाले हैं. रवि के कैमरे का कमाल उनके फेसबुक पेज Ravi Valdiya Photography पर भी देखा जा सकता है.

Support Kafal Tree

.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

हमारे कारवां का मंजिलों को इंतज़ार है : हिमांक और क्वथनांक के बीच

मौत हमारे आस-पास मंडरा रही थी. वह किसी को भी दबोच सकती थी. यहां आज…

3 days ago

अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…

7 days ago

पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला

उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…

7 days ago

1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…

1 week ago

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

1 week ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

1 week ago