पिथौरागढ़ जिले में बरम गाँव से 16 किमी की पैदल दूरी पर स्थित है कनार गांव. कनार गांव को छिपलाकेदार का प्रवेश द्वार कहा जाता है. समुद्र तल से छः हजार फीट की ऊंचाई पर मौजूद यह गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से अछूता है. Bhgwati Mandir kanar Village
कनार गाँव में पहुंचने के लिये 16 किमी की खड़ी चढ़ाई चढ़नी पड़ती है. गोसी नदी के किनारे एक दुर्गम रास्ते से होते हुए कनार गांव पहुंचा जाता है. यहीं गांव में मौजूद है मां भगवती कोकिला का विख्यात मंदिर. गोरीछाल क्षेत्र में अधिकांश परिवारों की यह आराध्य देवी हैं. Bhgwati Mandir kanar Village
मंदिर में प्रत्येक वर्ष मंगसीर की चतुर्दशी के दिन एक भव्य मेले का आयोजन होता है. इससे पूर्व मंगसीर महीने की अष्टमी के दिन मंदिर में विशेष पूजा का आयोजन होता है. मंगसीर चतुर्दशी के दिन होने वाला यह मेला इस क्षेत्र का देवी के दरबार में होने वाला एकमात्र ऐसा मेला है जो रात्रि में होता है.
मेले के दिन सात गर्खों के लोग अपने अपने गांव वालों के साथ मंदिर में आते हैं. सभी गर्खे अपने गांव के विशिष्ट वाद्य यंत्रों के साथ आते हैं. मंदिर परिसर में सभी गर्खे के अपने वाद्य बजाते हैं.
मंदिर के परिसर में एक 12 धानी का एक दमुवा रखा रहता है. 12 धानी का अर्थ इसके बनने में लगी सामग्री से है. करीब पचास किलो के इस दमुवा से पूरा क्षेत्र गूंजने लगता है. इस दमुवे को बजा कर मां भगवती की आराधना की जाती है.
पूरी रात चलने वाले इस मेले में रात भर भजन और कीर्तन होते हैं. पूरा माहौल भक्तिमय हो जाता है. इस वर्ष कनार गांव में मंगसीर चतुर्दशी का यह मेला कल आयोजित होना है.
कनार गांव में मौजूद मां भगवती की कुछ तस्वीरें देखिये :
काफल ट्री के फेसबुक पेज को लाइक करें : Kafal Tree Online
मूलरूप से पिथौरागढ़ के रहने वाले नरेन्द्र सिंह परिहार वर्तमान में जी. बी. पन्त नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ हिमालयन एनवायरमेंट एंड सस्टेनबल डेवलपमेंट में रिसर्चर हैं.
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
लम्बी बीमारी के बाद हरिप्रिया गहतोड़ी का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया.…
इगास पर्व पर उपरोक्त गढ़वाली लोकगीत गाते हुए, भैलों खेलते, गोल-घेरे में घूमते हुए स्त्री और …
तस्वीरें बोलती हैं... तस्वीरें कुछ छिपाती नहीं, वे जैसी होती हैं वैसी ही दिखती हैं.…
उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…
शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…
कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…