पतंजलि के सीईओ और भारत में योग और आयुर्वेद के जरिये चिकित्सा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रान्ति ले आने का दावा करने वाले सफल उद्यमी और योगगुरु रामदेव के जोड़ीदार बालकृष्ण के खराब स्वास्थ्य ने पतंजलि की चिकित्सा पद्धति पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
शुक्रवार दोपहर के भोजन के बाद बालकृष्ण की तबियत अचानक खराब हो गयी और उन्हें पहले भूमानंद अस्पताल और बाद में एम्स में भर्ती किया गया. इससे पहले उन्हें पतंजलि में ही प्राथमिक उपचार दिया गया जहाँ उन्होंने दोपहर में अपना कामकाज निपटाने के बाद 2 बजे भोजन किया था.
शुरूआती ख़बरों में उन्हें दिल के दौरे या फिर ह्रदय सम्बन्धी किसी अन्य बीमारी से पीड़ित बताया गया. देर शाम एक नयी कहानी सामने लायी गयी कि शुक्रवार दोपहर कोई सज्जन प्रसाद के रूप में पेड़ा लेकर आए थे जिसे खाकर बालकृष्ण की तबियत अचानक बिगड़ गयी. उन्हें फूड पॉइजनिंग का शिकार बताया जाने लगा. पतंजलि के मीडिया कोऑर्डिनेटर विमल कुमार ने उन्हें फूड पॉइजनिंग के कारण गैस से समस्याग्रस्त बताया.
अमर उजाला के हवाले से एम्स के चिकित्साधीक्षक ब्रह्मप्रकाश का कहना है कि बालकृष्ण होश में तो हैं मगर किसी को पहचान नहीं पा रहे हैं. उन्होंने सभी जांच रपटों के आने पर ही तबियत ख़राब होने के कारणों का खुलासा करने को कहा है. अब गैस की समस्या से तो किसी का निश्चेत अवस्था में चला जाना स्वाभाविक नहीं लगता. न ही फूड पॉइजनिंग के तत्काल बाद ऐसे लक्षण सहज हैं.
बालकृष्ण की गंभीर बीमारी का चाहे जो भी कारण हो इस पूरे मामले में पतंजलि के दावों और उसकी ब्रांड इमेज को काफी धक्का पहुंचा है. अगर बालकृष्ण को हृदय रोग की वजह से एलोपैथ की शरण में जान आपदा है तो सवाल यह है कि उनके उन दावों का क्या जहाँ वे मामूली सब्जियों, फलों आदि से हृदय रोग के पास तक न फटकने का दावा करते हैं. फूड पॉइजनिंग जैसे मामूली रोग में एलोपैथ की शरण में जाना तो और भी गंभीर सवाल खड़ा करता है.
ऐसे में उन लोगों की चिंता बढ़ना लाजमी है जो पतंजलि जैसी संस्थाओं के दावों के झांसे में एलोपैथ इलाज से तौबा कर लेते हैं.
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