Featured

नामवर सिंह के साथ समाप्त हो गयी दूसरी परंपरा की खोज

हिन्दी साहित्य के सम्पूर्ण इतिहास पर एक शानदार पुस्तक की जरुरत आज भी जस की तस है. एक नाम जो यह काम करने में सक्षम था वह था नामवर सिंह. 92 बरस की उम्र में देर रात नामवर सिंह का निधन हो गया. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के ट्रॉमा सेंटर में मंगलवार रात उनका निधन हो गया. नामवर सिंह के परिवार के सदस्यों ने बुधवार को यह जानकारी दी.

सही मायने में हिन्दी साहित्य में गिनती के आलोचक हुये हैं जिनमें एक बड़ा नाम नामवर सिंह का है. नामवर सिंह की हिन्दी साहित्य के इतिहास पर लिखी कोई एक पूर्ण पुस्तक नहीं है इसके बावजूद उनकी पुस्तक ‘कविता के नए प्रतिमान’, ‘छायावाद’ और ‘दूसरी परंपरा की खोज’ में नामवर सिंह की हिन्दी साहिय के इतिहास पर पकड़ और समझ देखी जा सकती है.

कविता के प्रतिमान को 1971 में साहित्य अकादमी पुरूस्कार दिया गया था. वह ‘जनयुग’ और ‘आलोचना’ पत्रिकाओं के संपादक भी रहे. वह ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव राइटर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष थे. नामवर हिन्दी साहित्य के लिविंग लेजेंड कहे जाते थे.

नामवर सिंह का जन्म 28 जुलाई 1926 को वाराणसी के जीयनपुर गांव में हुआ था. उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से पीएचडी की डिग्री ली और बीएचयू में ही पढ़ाने लगे. वह कई अन्य विश्वविद्यालयों में भी हिंदी साहित्य के प्रोफेसर रहे. उन्होंने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में भारतीय भाषा केंद्र की स्थापना की और 1992 में जेएनयू से रिटायर हो गए.

जनवरी के महिने में नामवर सिंह अपने कमरे में गिर गये थे. गिरने से उनके सिर पर चोट लग गयी थी जिसके बाद उन्हें एम्स दिल्ली में भर्ती कराया गया था.

नामवर सिंह का जाना हिन्दी साहित्य में एक युग का भी अंत है. वह अपनी पीढ़ी के अंतिम आलोचक थे जिन्हें सभी की विश्वसनीयता हासिल थी.

हिन्दी साहित्य के इतिहास की समझ के लिये नामवर सिंह द्वारा सेमिनारों के संबोधन और उनके साक्षत्कारों को सुना जाना चाहिये उन्हें पढ़ा जाना चाहिये.

काफल ट्री की ओर से नामवर सिंह को श्रद्धांजलि.

[वाट्सएप में काफल ट्री की पोस्ट पाने के लिये यहाँ क्लिक करें. वाट्सएप काफल ट्री]

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

Recent Posts

सर्दियों की दस्तक

उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…

15 hours ago

शेरवुड कॉलेज नैनीताल

शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…

7 days ago

दीप पर्व में रंगोली

कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…

1 week ago

इस बार दो दिन मनाएं दीपावली

शायद यह पहला अवसर होगा जब दीपावली दो दिन मनाई जाएगी. मंगलवार 29 अक्टूबर को…

1 week ago

गुम : रजनीश की कविता

तकलीफ़ तो बहुत हुए थी... तेरे आख़िरी अलविदा के बाद। तकलीफ़ तो बहुत हुए थी,…

1 week ago

मैं जहां-जहां चलूंगा तेरा साया साथ होगा

चाणक्य! डीएसबी राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय नैनीताल. तल्ली ताल से फांसी गधेरे की चढ़ाई चढ़, चार…

2 weeks ago