Featured

औली: हमारा अपना स्विटजरलैंड

चारों तरफ सफेद बर्फ की चादर से ढँकी पर्वत श्रृंखलाएँ. रोपवे पर लगातार आती-जाती ट्रॉलियाँ. पहाड़ों के बीच बर्फ से ढके छोटे से मैदान में बनी एक कृत्रिम झील. झील के चारों ओर विचरण करते सैलानी. स्कीइंग का मजा लेते देशी-विदेशी स्की लवर्स और इस खूबसूरत नजारे को देखकर आश्चर्य और रोमांच से भरे हुए पर्यटक. ये सब सुनकर आपके जेहन में जरूर स्विट्जरलैंड की तस्वीरें उभर रही होंगी लेकिन ये हमारा अपना स्विट्जरलैंड है. ये औली है. 
(Auli Uttarakhand)

नंदादेवी, कामेट, नीलकंठ, दूनागिरी आदि पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा औली उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ में स्थित है. यह स्थान न सिर्फ अपने सुहावने मौसम के लिए जाना जाता है बल्कि सर्दियों में देश-विदेश से तमाम सैलानी यहॉं स्कीइंग व प्राकृतिक सौंदर्य का लुत्फ उठाने आते हैं. 2011 में औली में साउथ-एशियन स्की चैंपियनशिप का आयोजन किया गया था. समय-समय पर औली में नेशनल विंटर गेम्स का आयोजन किया जाता रहा है. यहॉं आने वाले खिलाड़ी मानते हैं कि औली में बने स्कीइंग ट्रैक व स्लोप विश्वस्तरीय हैं तथा दुनिया भर के खिलाड़ियों को अपनी ओर आकर्षित भी करते हैं.

जोशीमठ से औली मोटरमार्ग व रोपवे दोनों से जुड़ा हुआ है. गर्मियों में सैलानी मोटरमार्ग से गढ़वाल मंडल विकास निगम के बेस कैंप तक जा सकते हैं और वहॉं से छोटी रोपवे, जो की एक खुली चेयर राइड है, से होते हुए औली तक पहुँच सकते हैं. दूसरा रोपवे जोशीमठ से औली तक जाता है जो कि लगभग 4.15 किलोमीटर लंबा है. इस रोपवे में दस टावर हैं. इसका प्रयोग सर्वाधिक सर्दियों में ही होता है क्योंकि सर्दियों में मोटरमार्ग में कई फुट बर्फ जम जाती है जिस कारण गाड़ियों की आवाजाही बंद रहती है. जोशीमठ-औली रोपवे की 20-25 मिनट की यात्रा रोमांच से भर देती है. जैसे-जैसे ट्रॉली आगे बढ़ती है शहर में बने घरों में गिरी हल्की-हल्की बर्फ नजर आने लगती है. और थोड़ा ऊपर चढ़ने पर बर्फ से ढकी देवदार के पेड़ों की चोटियॉं दिखाई पड़ती हैं. ट्रॉली की हर बढ़ती चाल के साथ ही रोमांच बढ़ता जाता है और प्रकृति अपनी खूबसूरती की छटा बिखेरती चली जाती है. अंतत: बर्फ पेड़ों के साथ ही आसपास की बसावट को भी खुद में समेट लेती है और जहॉं तक सैलानियों की नजर पड़ती है सिर्फ भुरभुरी बर्फ ही दिखाई देती है.

औली पहुँचने के बाद ऐसा एहसास होता है मानो किसी परीलोक में पहुँच गए हों. मौसम साफ होने पर सूर्य की किरणें सीधी पर्वतों से टकराकर उसमें जमीं बर्फ को भाप बनाने की कोशिश करती हैं और जैसे ही मौसम करवट बदलता है वैसे ही पर्वत की चोटियॉं पुन: कुछ इंच और हिमाच्छादित हो जाती हैं. औली के चारों ओर बिखरी प्राकृतिक छटा ऐसा सम्मोहन पैदा करती है मानो किसी ने हिप्नोटाइज कर दिया हो. स्कीइंग के लिए औली जन्नत है. स्कीइंग लवर जहॉं एक ओर 1300 मीटर लंबे ट्रैक पर अपनी कलाबाजियॉं दिखा रहे होते हैं वहीं दूसरी ओर स्कीइंग सीखने आए सैलानी बर्फ और स्की के बीच तालमेल बिठाने की जद्दोजहद में जुटे रहते हैं. स्कीइंग सीखने वाले पर्यटकों के लिए 14 दिन का सर्टिफिकेट कोर्स भी एक्सपर्ट की देखरेख में औली में कराया जाता है.

वैसे तो औली में जबरदस्त बर्फबारी होती है लेकिन कभी बर्फ कम हो या फिर स्की स्लोप में बर्फ की कमी महसूस हो तो कृत्रिम झील में लगाई गई आधुनिक फ्रेंच मशीनों व स्नोगन्स की मदद से कृत्रिम बर्फ बनाकर चारों ओर बिखेर दी जाती है. औली में बर्फ को भुरभुरा बनाए रखने के लिए भी कई आधुनिक मशीनों का इस्तेमाल किया जाता है ताकि सैलानी बर्फ का भरपूर आनंद ले सकें व फिसलन से बच सकें. औली में रूकने के लिए औली स्की रिजोर्ट के साथ ही गढ़वाल मंडल विकास निगम का होटल है जहॉं पर्यटकों के रूकने की बेहतरीन व्यवस्थाएँ हैं. कम बजट वाले पर्यटक रूकने के लिए जोशीमठ को अपना ठिकाना बना सकते हैं. सुबह जल्दी रोपवे से औली पहुँचकर पूरा दिन प्राकृतिक छटाओं का आनंद लेकर शाम को रोपवे से वापस जोशीमठ आया जा सकता है. वैसे तो औली बारह महीने आया जा सकता है लेकिन गर्मियों में आपको बर्फ नहीं मिलेगी सिर्फ सुहावना ठंडा मौसम व प्रकृति की सुंदरता महसूस होगी.
(Auli Uttarakhand)

अगर आप बर्फ की चाहत में हैं तो दिसंबर से मार्च के बीच औली आइये और ध्यान रहे औली पहुँचने से पहले गर्म कपड़े भरपूर रख लें साथ ही वाटरप्रूफ ट्रैकिंग शूज पहन कर चलें. अधिक ऊँचाई पर सूरज की पराबैंगनी किरणें ऑंखों में सीधा पड़ने पर नुकसान पहुँचाती हैं इसलिए सनग्लास व सनस्क्रीन लोशन साथ में लेकर चलना न भूलें. मनमोहक दृश्यों को कैद करने के लिए कैमरे की दरकार तो है ही लेकिन फोटोशूटिंग में इतना भी न खो जाएं कि गंतव्य का आनंद लेना ही भूल जाएँ. औली से निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश/हरिद्वार है व हवाईअड्डा जौली ग्रांट देहरादून. ऋषिकेश या देहरादून से मोटरमार्ग से होते हुए आप NH-58 पर लगभग 255 किलोमीटर की दूरी तय कर औली (जोशीमठ) पहुँच सकते हैं. तो कीजिये बैग पैक और निकल पड़िये अपने ड्रीम डेस्टिनेशन की ओर.

तस्वीरें देखिये:
(Auli Uttarakhand)

कमलेश जोशी

नानकमत्ता (ऊधम सिंह नगर) के रहने वाले कमलेश जोशी ने दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में स्नातक व भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबन्ध संस्थान (IITTM), ग्वालियर से MBA किया है. वर्तमान में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के पर्यटन विभाग में शोध छात्र हैं.

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

Support Kafal Tree

.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

भूत की चुटिया हाथ

लोगों के नौनिहाल स्कूल पढ़ने जाते और गब्दू गुएरों (ग्वालों) के साथ गुच्छी खेलने सामने…

13 hours ago

यूट्यूब में ट्रेंड हो रहा है कुमाऊनी गाना

यूट्यूब के ट्रेंडिंग चार्ट में एक गीत ट्रेंड हो रहा है सोनचड़ी. बागेश्वर की कमला…

15 hours ago

पहाड़ों में मत्स्य आखेट

गर्मियों का सीजन शुरू होते ही पहाड़ के गाड़-गधेरों में मछुआरें अक्सर दिखने शुरू हो…

2 days ago

छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : जिंदगानी के सफर में हम भी तेरे हमसफ़र हैं

पिछली कड़ी : छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : दिशाएं देखो रंग भरी, चमक भरी उमंग भरी हम…

2 days ago

स्वयं प्रकाश की कहानी: बलि

घनी हरियाली थी, जहां उसके बचपन का गाँव था. साल, शीशम, आम, कटहल और महुए…

3 days ago

सुदर्शन शाह बाड़ाहाट यानि उतरकाशी को बनाना चाहते थे राजधानी

-रामचन्द्र नौटियाल अंग्रेजों के रंवाईं परगने को अपने अधीन रखने की साजिश के चलते राजा…

3 days ago