कुमाऊं के सुन्दर कौसानी-सोमेश्वर मार्ग पर कौसानी से 3 और सोमेश्वर से 9 किलोमीटर दूर एक छोटी सी जगह पड़ती है ल्वेशाल. ग्राम सभा छानी ल्वेशाल के अंतर्गत आने वाला और लोकगायकों की समृद्ध परम्परा वाला यह गाँव लाटू देवता के एक महत्वपूर्ण मन्दिर की वजह से विख्यात है. कौसानी से आते हुए सड़क के दाईं तरफ है स्थित इस मंदिर के बारे में स्थानीय मान्यताओं में विख्यात है कि लाटू देवता माँ नन्दादेवी के भाई थे. सोमेश्वर की अतीव उपजाऊ धरती की विस्तृत दृश्य यहाँ से दिखाई देना शुरू हो जाते हैं.
इसी मंदिर के थोड़ा सा बगल में है एक छोटा सा नया बना हुआ रेस्तरां – वैली व्यू. अपनी लोकेशन के कारण यह हर आने-जाने वाले को आकर्षित करता है. वैली व्यू रेस्तरां को चलाते हैं पैंतीस वर्षीय युवा उद्यमी अनिल किशोर सिंह दोसाद. ग्राम ल्वेशाल, पोस्ट छानी ल्वेशाल जिला अल्मोड़ा के रहने वाले अनिल के पिताजी सीआरपीएफ में नौकरी किया करते थे. शुरुआती पढ़ाई गाँव से शुरू करने वाले अनिल ने सोमेश्वर से इंटर किया और उसके बाद बंबई मेंआईटीआई से डिप्लोमा.
डिप्लोमा के बाद उन्होंने पहले गुजरात के दमन और महाराष्ट्र के सतारा की फैक्ट्रियों में काम किया और कोई पांच साल पहले वे बेहतर मौकों की तलाश में दुबई चले गए जहां एक टेक्सटाइल फैक्ट्री में उन्हें मशीनों की देखभाल का काम मिला. अपने दुबई प्रवास के बारे में अनिल कहते हैं कि वहां काम करने की अच्छी और मानवीय सुविधाएं थीं जिनके बारे में भारत में सोचा भी नहीं जा सकता. वहां कोई आपको ऐसे ही गाली नहीं दे सकता जबकि यहाँ जिस सीनियर की जब मर्जी हो वह आपको गाली दे सकता है. वहां काम करने वालों के लिए रहने खाने की बेहतरीन व्यवस्था कम्पनी की तरफ से मिली हुई थी. शुरुआती कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक़ उन्हें पहले तो दो साल तक भारत आने का मौक़ा नहीं मिला लेकिन उसके बाद यह सुविधा हर एक साल में मिलना शुरू हुई.
अनिल विवाहित हैं और उनकी पत्नी बागेश्वर की रहने वाली हैं जिनसे उनकी तीन संतानें – दो बेटियां और एक बेटा – हैं. दो बच्चे स्कूल जाते हैं जबकि तीसरा अभी छोटा ही है. ल्वेशाल में उनके दसेक नाली के खेत भी हैं जिनमें थोड़े बहुत धान वगैरह उगते हैं.
दुबई में रहने के दौरान उन्हें अपने गाँव वापस जाकर कुछ अपना काम शुरू करने का विचार आया. इसे अमल में लाते हुए अनिल ने सड़क से लगी हुई पैतृक भूमि पर अपने रेस्तरां के निर्माण पर काम शुरू किया. वैल्डिंग और बिजली वगैरह का काम उन्होंने खुद अपने हाथों से किया. अंततः 22 मार्च 2018 को वैली व्यू रेस्तरां अस्तित्व में आया. इस रेस्तरां की बालकनी से दिखाई देने वाला घाटी का नज़ारा सचमुच बेहद आकर्षक है. यह तथ्य भी भविष्य में इस जगह की पहचान बनेगा.
हम जब पहली बार इस जगह से गुज़र रहे थे तो उसकी लोकेशन ने हमें बहुत आकर्षित किया और जब वहां की तरीके से घोटी गयी कॉफ़ी पी तो उसके बाद चार-पांच बार वहां जा चुके हैं. उनकी कॉफ़ी का स्वाद तो दिव्य है ही, वे अपने रेस्तरां में ज़रूरत के मुताबिक़ ब्रेकफास्ट-लंच-डिनर भी परोसते हैं. वे बताते हैं कि उनका पिछ्ला सीज़न बढ़िया गया और औसतन पचास आने-जाने वाले हर रोज़ वहां रुकते हैं जिससे खुद उनका और उनके स्टाफ का खर्च आसानी से निकल जाता है.
यह पूछने पर कि दुबई छोड़ने का कोई अफ़सोस तो नहीं होता अनिल कहते हैं – “अपने घर पर हैं परिवार के साथ हैं तो इससे बढ़िया बात क्या हो सकती है. अफ़सोस किस बात का!”
अनिल अब अपने रेस्तरां का विस्तार कर उसमें दो रिहाइशी कमरे बनाने की सोच रहे हैं जिनमें बाकायदा बरामदा, वेस्टर्न टॉयलेट और वे सारी सुविधाएं होंगीं जिनकी एक पर्यटक आशा करता है. साफ-सुथरा टॉयलेट तो अब भी इस रेस्तरां में है ही.
“परदेस में रहने से अच्छा है अपने देस में, अपने परिवार के साथ दो रोटी खा सकना” – इस मन्त्र पर विश्वास करने वाले इस कर्मठ, उत्साही और युवा अनिल सिंह दोसाद को काफल ट्री का सलाम!
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शुभकामनाएं अनिल जी के लिये।
पहली बार आपका kafaltree को देखा और उत्तराखंड की धरोहर और संस्कृति के प्रति आपकी जानकारी वाकई में लाजवाब हैं । इन सभी लेखों के लिए हृदय से आभार?
एटकिंसन के वृहद कार्य के सम्बंध में जानकारी देने के लिए साधुवाद।
कुछ दिन पहले काफल ट्री ग्रुप से जुड़ा । उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत के बारे में आपका ज्ञान अद्भुत है। कर्मठ, मेहनती मीना रौतेला जैसी अनेकों महिलाओं के सपने,माट गांव कसारदेवी की चारू मेहरा और उनका हिमानयन हिप्पीज कैफे,छानी ल्वेशाल के अनिल सिंह दोसाद जी का रेस्तरां , अनेकानेक युवाओं के पथ प्रदर्शक हैं। एटकिंसन और उनका हिमालयन गजेटियर की जानकारी देने के लिए भी लेखक का सधन्यवाद।काफल ट्री ग्रुप का बहुत बहुत धन्यवाद।