कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 121

5 years ago

डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है - “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि…

रुपहले पर्दे पर परिवार रचने वाले राजकुमार बड़जात्या का निधन

5 years ago

'मैने प्यार किया' के प्रोड्यूसर बड़जात्या को कौन भूल सकता है. वे निर्देशक सूरज बड़जात्या के पिता थे. बड़जात्या की…

ठैरा और बल से आगे भी बहुत कुछ है कुमाऊनी में

5 years ago

आज अन्तराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस है. कुमाउंनी में मातृभाषा के लिये अगर सबसे उपयुक्त शब्द नज़र में आता है वह है…

नामवर सिंह: साहित्यिक-वाचिक परंपरा के प्रतिमान

5 years ago

'तुम बहुत बड़े नामवर हो गए हो क्या.' नामवर का नाम एक दौर में असहमति जताने का एक तरीका बनकर…

खाने की तासीर बदल देती है उत्तराखंड के मसालों की छौंक

5 years ago

किसी भी खाने को स्वादिष्ट बनाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका छौंके या तड़के की होती है. छौंक पड़ने से खाने…

पहाड़ी क्षेत्र में सिमटती सामाजिक सोच और पर्वतीय कृषि

5 years ago

पर्वतीय कृषि के विकास की बाधायें, पर्वतीय कृषि का भावी परिदृश्य एवं समस्याओं के समाधान हेतु कुछ सुझाव पंकज सिंह…

कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 120

5 years ago

डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है - “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि…

ठेले पर हिमालय

5 years ago

प्रख्यात साहित्यकार डॉ. धर्मवीर भारती Dharmvir Bharti (25 दिसंबर, 1926 - 4 सितंबर, 1997) आधुनिक हिन्दी के अग्रणी लेखक, कवि, नाटककार और सामाजिक विचारक…

समकालीनता अब छुटभैयों का अभ्यारण्य है

5 years ago

किस बात के नामवर? लेखन के, समालोचन के, अध्ययन के, अध्यापन के, सम्पादन के, वक्तृत्व के या इन सबसे इतर…

निगम, दमुवाढूँगा और सुअर

5 years ago

विकासशील देश पालने में लेटे-लेटे लम्बे अरसे तक अमेरिका आदि देशों को ताकते रहते हैं. फिर विकास की घुट्टी पीकर…