Featured

मानसखंड में अल्मोड़ा

मानसखण्ड में वर्तमान कुमाऊँ के विभिन्न स्थानों का वर्णन एवं महत्व प्रतिपादित किया गया है. मानसखण्ड के 21वें  खण्ड में ‘मानसखण्ड’ नामक भौगोलिक क्षेत्र की सीमा निर्धारित की गई है
(Almora in Manaskhand)

नन्दपर्वतमारभ्यं यावत् काकगिरिः स्मृतः.
तावत् वै मानसः खण्डः ख्यायते नृपसत्तम्..

अर्थात् नन्दापर्वत से लेकर पश्चिमी नेपाल स्थित काकगिरी पर्वत तक का क्षेत्र मानसखण्ड के नाम से जाना जाता है. इस सीमा के अंतर्गत अल्मोड़ा नगर भी आता है जो सन् 1525 से 30 के मध्य से स्थानीय चन्द्र राजवंश की राजधानी रहा. तदोपरांत लम्बे समय तक कुमाऊँ का प्रशासनिक मुख्यालय रहा. मानसखण्ड में अनेक स्थानों पर इस नगर एवं समीपस्थ स्थानों का वर्णन प्राप्त होता है. इससे स्पष्ट है कि प्राचीनकाल से ही यह क्षेत्र सुविज्ञ एवं महत्वपूर्ण रहा है.

मानसखण्ड के ‘रामशिला महात्म्य’ नामक 52वें अध्याय में अल्मोड़ा नगर स्थित रामशिला मंदिर (वर्तमान में जिलाधीश कार्यालय प्रांगण में स्थित) के भौगोलिक विस्तार, महत्व एवं संबंधित कथा का वर्णन प्राप्त होता है जिसके अनुसार कौशिकी (कोसी) तथा शालि (सुयाल) नदियों के मध्य स्थित क्षेत्र ‘विष्णुक्षेत्र कहलाता है जो रामक्षेत्र के नाम से प्रसिद्ध है. जहाँ श्रीराम के चरणों से चिन्हित रामशिला विद्यमान है जिस पर बैठकर भगवान राम ने देवों, ऋषियों, सनकादि सप्तऋषियों तथा पितरों का तर्पण किया था.
(Almora in Manaskhand)

यहीं से श्रीराम के चरण युगल से रम्भानदी का उद्गम हुआ था जो संभवत: रम्भानौला रहा हो. यह रम्भानदी उत्तर की ओर बहती हुई कोसी नदी में मिलती थी. इस स्थान पर तिरात्ति प्रवास का महत्व भी इस अध्याय में बताया गया है. यहाँ मोक्षदायनी रामशिला अभी भी जाग्रत है. पर मानसखण्ड में अल्मोड़ा के समीपस्थ अनेक क्षेत्रों जैसे कसारदेवी, कटारमल, बिन्सर, सिमतोला आदि का वर्णन प्राप्त होता है.

इस ग्रंथ के ‘कौशिकी महात्म्य’ नामक 37 वें अध्याय में स्वयंभूपर्वत एवं यहाँ स्थित स्वयम्भूनाथ के पूजन का महत्व बताया गया है. इस स्थान का तादात्म्य वर्तमान सिमतोला से किया गया है. इसके बाईं ओर स्थित ‘काषाय पर्वत’ (स्थानीय नाम कलमटिया) है. उक्त पर्वतों में प्रवास के उपरान्त कोसी में स्नान करके साहित्य के पूजन का महत्व बताया गया है. यह बड़ादित्य अल्मोड़ा नगर के समीप स्थित कोसी में कटारमल का सूर्यमंदिर है. मानसखण्ड के ‘बड़ादित्य महात्म्य’ नामक 38वें अध्याय साहित्य पूजन के महात्य का विस्तृत वर्णन किया गया है. ‘कौशिकी महात्म्य’ नामक 39वें अध्याय में राम के चरणों से उद्गमित रम्भा नदी के कौशिकी में मिलने का वर्णन है. श्याम पर्वत अर्थात स्याहीदेवी स्थित ‘शक्ति’ की उपासना का महत्व भी बताया गया है.
(Almora in Manaskhand)

मानसखण्ड के ‘कापाय पर्वत’ नामक 53वें अध्याय में वर्णित है कि यहाँ प्रत्येक दस नल्व पर अर्थात स्थान स्थान पर अनेक क्षेत्र हैं. इनमें काषायपर्वत के समीप महादेवी (संभवतः कसारदेवी), यक्षों से सेवित तथा देवगंधर्वो से पूजित महामाया (अर्थात् जाखनदेवी या यक्षिणी देवी) तथा पत्तेश्वर महादेव अत्यन्त जाग्रत क्षेत्र बताए गए हैं. ‘स्वयंभूपर्वत महात्म्य’ नामक 54 वें अध्याय में काषाय पर्वत के पूर्व भाग में स्वयम्भू पर्वत एवं स्वयम्भूनाथ तथा देवीपूजन का महत्व वर्णित है.

उक्त वर्णन से स्पष्ट है कि अल्मोड़ा नगर एवं उसके समीपस्थ क्षेत्र पौराणिक काल से ही धार्मिक दृष्टि से अत्यन्त प्रतिष्ठित क्षेत्र रहे हैं. मानसखण्ड के अनुसार यहाँ मुख्यत: विष्णु अवतार राम के चरणांकित रामशिला एक प्रसिद्ध तीर्थ है. अतः इसी कारण इस क्षेत्र को विष्णुक्षेत्र कहा गया होगा. यहाँ एक विष्णुमन्दिर भी है जो नारायण विष्णु देवाल के नाम से जाना जाता है.

यह पूर्व में रामशिला मंदिर प्रांगण में ही अवस्थित था. इसके अतिरिक्त विष्णु अवतारों से संबंधित बदीनाथ मन्दिर, मुरली मनोहर मन्दिर अपेक्षाकृत नए हैं. उक्त मंदिरों से अन्यथा यहाँ शैव एवं शाक्तों के मन्दिरों की बहुतायत देखी जा सकती है. यद्यपि पुराण सहित हमारे सभी धार्मिक ग्रंथों में शिव-विष्णु अभिन्नता, शिव-शक्ति अभिन्नता का वर्णन अनेक बार प्राप्त होता है. वास्तव में अल्मोड़ा नगर ने भले ही स्थानीय चन्द्रवंश की राजधानी बनने के उपरान्त अपनी पहचान पायी हो लेकिन धार्मिक दृष्टि से अल्मोड़ा एवं इसके समीपस्थ क्षेत्र पौराणिक काल से ही महत्वपूर्ण रहे हैं.
(Almora in Manaskhand)

श्री लक्ष्मी भंडार (हुक्का क्लब) अल्मोड़ा द्वारा प्रकाशित, ‘पुरवासी‘ पत्रिका के चौतीसवें अंक में प्रकाशित लेख. पुरवासी में यह लेख जया जोशी पन्त द्वारा लिखा गया है.

Support Kafal Tree

.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

डी एस बी के अतीत में ‘मैं’

तेरा इश्क मैं  कैसे छोड़ दूँ? मेरे उम्र भर की तलाश है... ठाकुर देव सिंह…

1 day ago

शराब की बहस ने कौसानी को दो ध्रुवों में तब्दील किया

प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत की जन्म स्थली कौसानी,आजादी आंदोलन का गवाह रहा कौसानी,…

4 days ago

अब मानव निर्मित आपदाएं ज्यादा देखने को मिल रही हैं : प्रोफ़ेसर शेखर पाठक

मशहूर पर्यावरणविद और इतिहासकार प्रोफ़ेसर शेखर पाठक की यह टिप्पणी डाउन टू अर्थ पत्रिका के…

5 days ago

शराब से मोहब्बत, शराबी से घृणा?

इन दिनों उत्तराखंड के मिनी स्विट्जरलैंड कौसानी की शांत वादियां शराब की सरकारी दुकान खोलने…

5 days ago

वीर गढ़ू सुम्याल और सती सरू कुमैण की गाथा

कहानी शुरू होती है बहुत पुराने जमाने से, जब रुद्र राउत मल्ली खिमसारी का थोकदार…

5 days ago

देश के लिये पदक लाने वाली रेखा मेहता की प्रेरणादायी कहानी

उधम सिंह नगर के तिलपुरी गांव की 32 साल की पैरा-एथलीट रेखा मेहता का सपना…

6 days ago