हर शहर की अपनी एक सुबह होती है उसकी कुछ ख़ास आदतें होती हैं जो उसे ओरों से जुदा बनाती है. छोटी और सामान्य सी लगने वाली इन आदतों से उस शहर के हर बासिंदे को बेइन्तहा मोहब्बत होती है. मनु डफाली द्वारा पिथौरागढ़ की एक अलसाई सुबह का रेखाचित्र पढ़िये : (Sketch of Pithoragarh)
पुरानी स्वेटर को उधेड़ कर अर्जित ऊन का स्कार्फ पहने और हाथ में कुरुशिया किये सफेद कपड़े से ढकी पूजा की थाली को एक हाथ से पकड़े, और अपने दूजे हाथ को अपनी कोटी की नन्ही सी जेब में डाले, हल्के से अंधेरे में अपने भगवान को पूजने जाती महिला. फूलों से भरी चटक साड़ी पहने तेजी से घर को वापिस आती आंटी जी – लेकिन न जाने ये अकेली क्यों हैं आज, नही तो एक छोटी सी पलटन साथ तो होती ही है, इनके.
थोड़ी से मोटी अपनी मालकिन को नींद में चेन से खींचता ब्रीड वाला कुत्ता, खुले में हगने से आजादी वाले सरकारी बोर्ड पर गू छितराते एक, दो, तीन, चार, पांच… ऐसे कई देसी-विदेशी कुत्ते और उनके सभ्य मालिक, कुत्तों की फौज लिए चलने वाला उनका मालिक…
अगली सेना भर्ती की तैयारी करते पहाड़ी लकड़ों का इंतजार करता, सड़क किनारे लकड़ी की बल्लियों से बना 8-10 फिट ऊंचा और 3 फिट चौड़ा पुशअप बीम, योगा वाले अंकल के बाद बुड्ढों का हल्का सा शोर मचाता देश की राजनीति पर फिक्र करता गैंग, बच्चों की स्कूल की बस छूट ना जाए इस फिक्र में तेज कदमों से वापसी करती आंटी.
फोन की तेज आवाज में डीजे बजाता रैप सुनता लौंडा, कल शाम के छुपाए हुए माचिस का डिब्बा ढूंढते दाई लोग, चाय की चुस्कियों में सिगरिटिया स्वाद मिक्स करते लोग, ट्यूशन से भागे स्कूटी वाले बच्चे… फिटनेस फ्रीक लौंडा, 3 दोस्तों का सर नीचे कर के चलने वाला ग्रुप, आज ही पूरी धरती दौड़-दौड़ कर नाप देने वाले लड़के…
इस सर्दी में टप टप पसीने से भीगता शरीर, बॉक्सरों का ग्रुप और उसके पीछे सिन्ने का झाप लिए उनका मोटा कोच और इनमें से अधिकतर लोगों के कानों से टंगा एक हेड फ़ोन… (Sketch of Pithoragarh)
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पिथौरागढ़ के रहने वाले मनु डफाली पर्यावरण के क्षेत्र में काम कर रही संस्था हरेला सोसायटी के संस्थापक सदस्य हैं.
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पिथौरागढ़ की (अल सायी) सुबह का सजीव चित्र खींचा है आपने। बहुत सुन्दर .