देहरादून से करीब 30 किमी दूर सेलाकुई में 36 करोड़ रुपये की लागत से लगाया गया 350 मीट्रिक टन क्षमता वाला शीशमबाड़ा साॅलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट है.
जनवरी 2018 में इस प्लांट का उद्घाटन उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा किया गया था.
प्लांट की स्थापना के बाद से ही लोग इसका विरोध कर रहे हैं. प्लांट में कूड़ा निस्तारण के समुचित प्रबंधन होने के कारण इलाके में दुर्गंध बढ़ती जा रही है. सेलाकुई औद्योगिक क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में रह रही करीब दो लाख की आबादी इस प्लांट से फैल रही बू के बीच रह रही है.
अब दुर्गंध से परेशानी पांच सौ लोगों ने राष्ट्रपति से इच्छामृत्यु मांगी है. लोगों ने नायब तहसीलदार पंचम सिंह के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजकर इच्छामृत्यु की मांग की है. वर्तमान में तीन लोग अपनी मांगों को लेकर आमरण अनशन पर बैठे हैं.
डाउन टू अर्थ में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार प्लांट की दीवार एक जगह से टूट गयी है जिसकी मरम्मत की जा रही है. इसी टूटी दीवार से प्लांट के भीतर कचरे का पहाड़ देखा जा सकता है जिसमें प्लास्टिक, कपड़े, हड्डियां और यहां तक कि मेडिकल वेस्ट भी नजर आ रहा है. कचरे के पहाड़ के निचले हिस्से से पानी अब भी रिस रहा है, जो चहारदीवारी के आसपास छोटे-छोटे तालाबों के रूप में जमा होने के बाद निकासी मार्गों से बाहर खेतों की तरफ रिस रहा है. यहां से मात्र 300 मीटर दूर आसन नदी तक पहुंचकर यह पानी नदी को भी जहरीला बना रहा है.
इसी प्लांट के गेट के आगे हिमगिरि जी यूनिवर्सिटी भी है. इस युनिवर्सिटी के बच्चों को भी इसी गंदगी के माहौल में पढ़ाई करनी पढ़ रही है.
इस प्लांट की नींव 2009 में रखी गयी थी. एनजीटी ने इसे 2014 में मंजूरी भी दे दी थी जिसके बाद सवा आठ एकड़ में फैले इस प्लांट का काम शुरू हो गया. इस बीच स्थनीय लोगों का विरोध जारी रहा.
विरोध, प्रदर्शन, पथराव व लाठीचार्ज के बीच अक्तूबर 2016 को कूड़े के निस्तारण केंद्र का शिलान्यास कर दिया गया और 2018 में मुख्यमंत्री द्वारा इसका उद्घाटन भी किया गया.
-काफल ट्री डेस्क
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