संविधान सभा (constitutional assembly) की पहली बैठक 9 दिसम्बर, 1946 को नई दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन हॉल, जिसे अब संसद भवन के केंद्रीय कक्ष के नाम से जाना जाता है, में हुई. पहली पंक्ति में जवाहरलाल नेहरू, मौलाना अबुल कलाम आज़्ााद, सरदार वल्लभभाई पटेल, आचार्य जे.बी.कृपलानी, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, श्रीमती सरोजिनी नायडू, श्री हरे कृष्ण महताब, पं. गोविन्द वल्लभ पंत, डॉ बी. आर. अम्बेडकर, श्री शरत चंद्र बोस, श्री सी. राजगोपालाचारी और श्री एम. आसफ अली शोभायमान थे। नौ महिलाओं समेत दो सौ सात सदस्य उपस्थित थे. बाद में महिलाओं की संख्या 15 हो गयी थी.
गणतंत्र दिवस ( 26 जनवरी ) के मौके पर संविधान सभा (constitutional assembly) में भाग लेने वाली इन पन्द्रह महिलाओं के बारे में जानिये.
1. सरोजनी नायडू
13 फरवरी, 1879 को सरोजनी नायडू उर्फ़ ‘भारतीय कोकिला’ का जन्म हैदराबाद में हुआ. इंडियन नेशनल कान्ग्रेस की प्रेसिडेंट बनने वाली वे पहली भारतीय महिला थी. 1931 में गोलमेज सम्मलेन (Round Table Conference) के दूसरे सेशन में सरोजिनी भी गांधी के साथ गई थी.
2. दक्षिणानी वेलायुद्ध
दक्षिणानी वेलायुद्ध का जन्म 4 जुलाई 1912 को कोचीन में बोल्गाटी द्वीप पर हुआ था. वह शोषित वर्गों की नेता थी. वह साल 1946 में संविधान सभा के लिए चुनी गयी पहली और एकमात्र दलित महिला थीं.
3. पूर्णिमा बनर्जी
पूर्णिमा बनर्जी इलाहाबाद में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कमेटी की सचिव थी. वह साल 1930 के दशक के अंत से स्वतंत्रता आंदोलन में सबसे आगे थीं. उन्हें सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन में भागीदारी के लिए गिरफ्तार किया गया था.
बेगम एजाज रसूल मालरकोटला के रियासत परिवार में पैदा हुई . वह संविधान सभा की एकमात्र मुस्लिम महिला सदस्य थी। साल 1950 में, भारत में मुस्लिम लीग भंग होने के बाद वह कांग्रेस में शामिल हो गयी.
अम्मू स्वामीनाथन का जन्म केरल के पालघाट जिले के अनाकारा में ऊपरी जाति के हिंदू परिवार में हुआ था. उन्होंने साल 1917 में मद्रास में एनी बेसेंट, मार्गरेट, मालथी पटवर्धन, श्रीमती दादाभाय और श्रीमती अंबुजमल के साथ महिला भारत संघ का गठन किया.
दुर्गाबाई देशमुख का जन्म 15 जुलाई 1909 को राजमुंदरी में हुआ था. आंध्र केसरी टी प्रकाशन के साथ उन्होंने मई 1930 में मद्रास शहर में नमक सत्याग्रह आंदोलन में भाग लिया. साल 1936 में उन्होंने आंध्र महिला सभा की स्थापना की. वह संसद और योजना आयोग की सदस्य भी थी.
अमृत कौर का जन्म 2 फरवरी 1889 में लखनऊ (उत्तर प्रदेश) में हुआ था. वह महिलाओं की शिक्षा व खेल में उनकी भागीदारी और उनकी स्वास्थ्य देखभाल में दृढ़ आस्तिक थीं. उन्होंने ट्यूबरकुलोसिस एसोसिएशन ऑफ इंडिया व सेंट्रल लेप्रोसी एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्थापना की. 1964 में जब उनकी मृत्यु होने के बाद द न्यूयॉर्क टाइम्स ने उन्हें अपनी देश की सेवा के लिए ‘राजकुमारी’ की उपाधि दी.
रेनुका रे ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से बीए की पढ़ाई पूरी की. साल 1934 में, एआईडब्ल्यूसी के कानूनी सचिव के रूप में उन्होंने ‘भारत में महिलाओं की कानूनी विकलांगता’ नामक एक दस्तावेज़ प्रस्तुत किया. रेणुका ने एक समान व्यक्तिगत कानून कोड के लिए तर्क दिया और कहा कि भारतीय महिलाओं की स्थिति दुनिया में सबसे अन्यायपूर्ण में से एक थी.
9. मालती चौधरी
मालती चौधरी का जन्म साल 1904 में पूर्वी बंगाल में हुआ था. नमक सत्याग्रह के दौरान, मालाती चौधरी और उनके पति भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए और आंदोलन में भाग लिया.
लीला रॉय का जन्म अक्टूबर 1900 में असम के गोलपाड़ा में हुआ था. उन्होंने साल 1921 में बेथ्यून कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और सभी बंगाल महिला उत्पीड़न समिति की सहायक सचिव बनी. वह सुभाष चंद्र बोस द्वारा गठित महिला उपसमिती की भी सदस्य बन गईं. भारत छोड़ने से पहले नेताजी ने लीला रॉय और उनके पति को पार्टी गतिविधियों का पूरा प्रभार दिया.
सुचेता का जन्म हरियाणा के अंबाला शहर में साल 1908 में हुआ था. उन्हें विशेषरूप से साल 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में उनकी भूमिका के लिए याद किया जाता है. कृपलानी ने साल 1940 में कांग्रेस पार्टी की महिला विंग की भी स्थापना की.
विजया लक्ष्मी पंडित का जन्म 18 अगस्त 1900 में इलाहाबाद में हुआ था. साल 1932 से 1933, साल 1940 और साल 1942 से 1943 तक अंग्रेजों ने उन्हें तीन अलग-अलग जेल में कैद किया था. साल 1936 में, वह संयुक्त प्रांत की असेंबली के लिए चुनी गयी और साल 1937 में स्थानीय सरकार और सार्वजनिक स्वास्थ्य मंत्री बनी. ऐसा पहली बार था जब एक भारतीय महिला कैबिनेट मंत्री बनी.
एनी मास्कारेन का जन्म केरल के तिरुवनंतपुरम में हुआ था. वह त्रावणकोर राज्य से कांग्रेस में शामिल होने वाली पहली महिलाओं में से एक थीं और त्रावणकोर राज्य कांग्रेस कार्यकारिणी का हिस्सा बनने वाली पहली महिला बनीं. वह केरल की पहली महिला सांसद थी.
हंसा का जन्म 3 जुलाई 1897 को बड़ौदा में हुआ. वह साल 1926 में बॉम्बे स्कूल कमेटी के लिए चुनी गयी और साल 1945-46 में अखिल भारतीय महिला सम्मेलन की अध्यक्ष बनी. हैदराबाद में आयोजित अखिल भारतीय महिला सम्मेलन में उनके राष्ट्रपति के संबोधन में उन्होंने महिलाओं के अधिकारों का चार्टर प्रस्तावित किया.
कमला चौधरी का जन्म लखनऊ में हुआ था. साल 1930 में गांधी द्वारा शुरू की गई नागरिक अवज्ञा आंदोलन में भी उन्होंने सक्रियता से हिस्सा लिया. वह अपने पचासवें सत्र में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की उपाध्यक्ष थी.
काफल ट्री डेस्क
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