‘यात्रिक’ 1952 की एक फिल्म है. न्यू थियेटर ग्रुप द्वारा बनाई गयी इस फिल्म को हिन्दी सिनेमा की शुरुआती विवादित फिल्मों में माना जाता है. इस फिल्म का भारत भर में विरोध किये जाने के कारण यह पूरे भारत में रिलीज नहीं हो पाई. इस विरोध का कारण फिल्म में ढ़ोंगी साधु ब्रह्मचारियों के अतिरिक्त तीर्थ यात्रा के नाम पर ढोंग करने वाले लोगों पर किया गया तीखा व्यंग्य है.
(Yatrik 1952 Movie)
यात्रिक फ़िल्म एक बांग्ला यात्रावृतांत ‘महाप्रस्थानेर पथे’ पर बनी है जो कि प्रबोध कुमार सान्याल द्वारा लिखा गया था. ‘महाप्रस्थानेर पथे’ पर हिंदी और बांग्ला दोनों ही भाषा में फिल्म बनी थी. बांग्ला में बनी फिल्म का नाम ‘महाप्रस्थानेर पथे’ था वहीं हिंदी में बनी फिल्म का नाम ‘यात्रिक’ था. फिल्म का स्क्रीनप्ले और डायलॉग प्रबोध द्वारा ही लिखे गये.
कार्तिक चटर्जी द्वारा निर्देशित इस फिल्म में उत्तराखंड में स्थित अनेक धार्मिक स्थानों के वीडियो देखने को मिलते हैं. फिल्म में अभि भट्टाचार्य ने ब्रह्मचारी संन्यासी की भूमिका निभाई है और अरुंधती मुखर्जी द्वारा रानी की भूमिका निभाई गयी है. फिल्म में गढ़वाल हिमालय के अनेक मनोरम दृश्य हैं. इस फिल्म में केदारनाथ, बद्रीनाथ, हेमकुंड, देवप्रयाग, ऋषिकेश आदि देखने को मिलते हैं.
(Yatrik 1952 Movie)
इस फिल्म का संगीत इसे और ख़ास बना देता है. फिल्म में संगीत पंकज मुल्लिच्क द्वारा दिया गया है. यह फिल्म अपने संगीत के लिये भी खूब याद की जाती है. कालिदास के कुमारसंभव से लिया गीत हो या शिव आराधना सभी का संगीत अद्भुत है.
‘यात्रिक’ फिल्म उत्तराखंड के दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है. इसका मुख्य कारण फिल्म में तीर्थयात्रियों के साथ फिल्माये गये तीर्थस्थल हैं. इस फिल्म के कारण उत्तराखंड में स्थित अनेक तीर्थ स्थलों के बहुत पुराने चित्र सुरक्षित रह गये हैं.
(Yatrik 1952 Movie)
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