Featured

यात्रिक: एक फिल्म जिसमें 70 साल पुराने उत्तराखंड के दृश्य मिलते हैं

‘यात्रिक’ 1952 की एक फिल्म है. न्यू थियेटर ग्रुप द्वारा बनाई गयी इस फिल्म को हिन्दी सिनेमा की शुरुआती विवादित फिल्मों में माना जाता है. इस फिल्म का भारत भर में विरोध किये जाने के कारण यह पूरे भारत में रिलीज नहीं हो पाई. इस विरोध का कारण फिल्म में ढ़ोंगी साधु ब्रह्मचारियों के अतिरिक्त तीर्थ यात्रा के नाम पर ढोंग करने वाले लोगों पर किया गया तीखा व्यंग्य है.
(Yatrik 1952 Movie)

यात्रिक फ़िल्म एक बांग्ला यात्रावृतांत ‘महाप्रस्थानेर पथे’ पर बनी है जो कि प्रबोध कुमार सान्याल द्वारा लिखा गया था. ‘महाप्रस्थानेर पथे’ पर हिंदी और बांग्ला दोनों ही भाषा में फिल्म बनी थी. बांग्ला में बनी फिल्म का नाम ‘महाप्रस्थानेर पथे’ था वहीं हिंदी में बनी फिल्म का नाम ‘यात्रिक’ था. फिल्म का स्क्रीनप्ले और डायलॉग प्रबोध द्वारा ही लिखे गये.

कार्तिक चटर्जी द्वारा निर्देशित इस फिल्म में उत्तराखंड में स्थित अनेक धार्मिक स्थानों के वीडियो देखने को मिलते हैं. फिल्म में अभि भट्टाचार्य ने ब्रह्मचारी संन्यासी की भूमिका निभाई है और अरुंधती मुखर्जी द्वारा रानी की भूमिका निभाई गयी है. फिल्म में गढ़वाल हिमालय के अनेक मनोरम दृश्य हैं. इस फिल्म में केदारनाथ, बद्रीनाथ, हेमकुंड, देवप्रयाग, ऋषिकेश आदि देखने को मिलते हैं.
(Yatrik 1952 Movie)

इस फिल्म का संगीत इसे और ख़ास बना देता है. फिल्म में संगीत पंकज मुल्लिच्क द्वारा दिया गया है. यह फिल्म अपने संगीत के लिये भी खूब याद की जाती है. कालिदास के कुमारसंभव से लिया गीत हो या शिव आराधना सभी का संगीत अद्भुत है.

‘यात्रिक’ फिल्म उत्तराखंड के दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है. इसका मुख्य कारण फिल्म में तीर्थयात्रियों के साथ फिल्माये गये तीर्थस्थल हैं. इस फिल्म के कारण उत्तराखंड में स्थित अनेक तीर्थ स्थलों के बहुत पुराने चित्र सुरक्षित रह गये हैं.
(Yatrik 1952 Movie)

काफल ट्री के यूट्यूब चैनल पर इस फिल्म को देखिये :

काफल ट्री डेस्क

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

उत्तराखंड में सेवा क्षेत्र का विकास व रणनीतियाँ

उत्तराखंड की भौगोलिक, सांस्कृतिक व पर्यावरणीय विशेषताएं इसे पारम्परिक व आधुनिक दोनों प्रकार की सेवाओं…

1 day ago

जब रुद्रचंद ने अकेले द्वन्द युद्ध जीतकर मुगलों को तराई से भगाया

अल्मोड़ा गजेटियर किताब के अनुसार, कुमाऊँ के एक नये राजा के शासनारंभ के समय सबसे…

5 days ago

कैसे बसी पाटलिपुत्र नगरी

हमारी वेबसाइट पर हम कथासरित्सागर की कहानियाँ साझा कर रहे हैं. इससे पहले आप "पुष्पदन्त…

5 days ago

पुष्पदंत बने वररुचि और सीखे वेद

आपने यह कहानी पढ़ी "पुष्पदन्त और माल्यवान को मिला श्राप". आज की कहानी में जानते…

5 days ago

चतुर कमला और उसके आलसी पति की कहानी

बहुत पुराने समय की बात है, एक पंजाबी गाँव में कमला नाम की एक स्त्री…

5 days ago

माँ! मैं बस लिख देना चाहती हूं- तुम्हारे नाम

आज दिसंबर की शुरुआत हो रही है और साल 2025 अपने आखिरी दिनों की तरफ…

5 days ago