Featured

विश्व धरोहर दिवस पर जानिये उत्तराखंड स्थित विश्व धरोहर स्थल

आज विश्व धरोहर दिवस है. यूनेस्को द्वारा हर साल 18 अप्रैल का दिन विश्व धरोहर दिवस के रूप में मनाया जाता है. यूनेस्को संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन का लघुरूप है जो संयुक्त राष्ट्र का एक घटक निकाय है.

यूनेस्को का उदेश्य शिक्षा, प्रकृति तथा समाज विज्ञान, संस्कृति तथा संचार के माध्यम से अंतराष्ट्रीय शांति को बढ़ावा देना है. 16 नवम्बर 1945 को यूनेस्को का गठन हुआ था. यूनेस्को का मुख्यालय पेरिस है.

यूनस्को विश्व धरोहर कार्यक्रम का उदेश्य ऐसे स्थलों को चयनित एवं संरक्षित करना होता है जो विश्व संस्कृति की दृष्टि से मानवता के लिए महत्वपूर्ण हैं और जिन्हें अगली पीढ़ी के लिये संरक्षित रखा जाना चाहिये.

विश्व विरासत/ धरोहर सूची

दुनिया में अब तक कुल 1,092 यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं, जिनमें से 845 सांस्कृतिक, 209 प्राकृतिक और 38 अन्य हैं. यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त 37 धरोहर स्थल भारत में हैं. 37 में 29 सांस्कृतिक धरोहर स्थल हैं, 7 प्राकृतिक और 1 मिश्रित धरोहर स्थल है.

विश्व विरासतों में भारत का स्थान छठा है. पहला स्थान इटली का है. विश्व की 36% विरासत वर्तमान में खतरे में है.

विश्व विरासत दिवस 2019 का विषय ग्रामीण परिदृश्य है. ग्रामीण इलाकों में स्थित धरोहरों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए संपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है.

आगरा का किला, ताजमहल, हुमायूं का मकबरा, आजंता की गुफाएं, एलोरा की गुफाएं आदि भारत में स्थित धरोहर स्थल हैं.

फोटो : अशोक पांडे

उत्तराखंड में दो विश्व धरोहर स्थल स्थित हैं – नंदादेवी राष्ट्रीय उद्यान और फूलों की घाटी.

नंदादेवी नेशनल पार्क

नंदादेवी नेशनल पार्क जोशीमठ से 24 किमी की दूरी पर चमोली जिले में है. राष्ट्रीय उद्यान के रूप में इसकी स्थापना 1982 में हुई थी. शुरुआत में इसका नाम संजय गांधी नेशनल पार्क रखा गया था जिसे बाद में बदल दिया गया. 1988 में यूनेस्को ने इसे राष्ट्रीय धरोहर की सूची में शामिल किया था.

नंदादेवी नेशनल पार्क फूलों की करीब 312 प्रजातियां हैं जिसमें से 17 दुलर्भ प्रजातियों के फूल यहां पाए जाते हैं.

फूलों की घाटी

1931 में ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक एस. स्मिथ और उनके साथी आरएल होल्डसवर्थ ने दुनिया को फूलों की घाटी के विषय में बताया. फूलों की घाटी हर दिन 15 रंग बदलती है. साल 2005 में यूनेस्को ने फूलों की घाटी को विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया था.

वाट्सएप में काफल ट्री की पोस्ट पाने के लिये यहाँ क्लिक करें. वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री के फेसबुक पेज को लाइक करें : Kafal Tree Online

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

Recent Posts

अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…

2 days ago

पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला

उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…

2 days ago

1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…

3 days ago

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

4 days ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

4 days ago

गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा

“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…

1 week ago