बीते 23 अक्टूबर के दिन वर्तमान सरकार ने पहली बार कुमाऊं क्षेत्र में कैबिनेट मीटिंग की. इस मीटिंग में बहुत से फैसलों के साथ एक फैसले पर मोहर लगी वह है अल्मोड़ा में यूनिवर्सिटी के फैसले पर. (University Demand in Pithoragarh)
अल्मोड़ा में जिस राजकीय यूनिवर्सिटी बनाने के फैसले पर मोहर लगी है वह यूनिवर्सिटी पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी, धारचूला, थल, डीडीहाट, गंगोलीहाट, बुंगाछिना, जौलजीवी, झूलाघाट जैसे न जाने कितने सीमांत क्षेत्रों के युवाओं के नाम पर बनी है. (University Demand in Pithoragarh)
अब सवाल यह है कि इन सीमांत क्षेत्र के बच्चों को क्या वाकई अल्मोड़ा यूनिवर्सिटी बनने से फायदा होगा या सरकार अपनी स्वार्थपूर्ति के लिये महज एक खानापूर्ति कर रही है.
अल्मोड़ा से 3 घंटे की दूरी पर कुमाऊं की एकमात्र यूनिवर्सिटी नैनीताल में मौजूद है. बागेश्वर, पिथौरागढ़, चम्पावत के बच्चों को यूनिवर्सिटी संबंधी काम के लिये नैनीताल ही आना पड़ता है. इसी दूरी को कम करने के
सीमांत क्षेत्र के युवाओं को एक यूनिवर्सिटी में एक मामूली काम पूरा करने में भी तीन दिन लगते हैं. जिसमें दो दिन केवल आने-जाने के हैं. इसी के कारण लम्बे समय से क्षेत्र के लोगों की मांग थी कि एक राजकीय यूनिवर्सिटी पिथौरागढ़ में भी बनाये जाये.
पिथौरागढ़ के लोगों ने एकमत से अपनी इस मांग का समर्थन किया है. सभी राजनीतिक पार्टियों ने इस मांग का पूर्ण समर्थन भी किया था. इस मांग को लेकर कुछ दिन पहले पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष राकेश, महेंद्र आदि द्वारा एक हस्ताक्षर अभियान चलाया गया जिसे सरकार को सौंपा भी जा चुका है.
अब जब कैबिनेट ने अल्मोड़ा में यूनिवर्सिटी के फैसले पर मोहर लगा चुकी है और पिथौरागढ़ की जनता चुप बैठी है यह निराशाजनक है. पिथौरागढ़ में अगले महीने विधानसभा सदस्य के उपचुनाव हैं, जाहिर सी बात है कि यह चुनाव का बड़ा सबसे मुद्दा हो सकता है लेकिन कांग्रेस को इससे कोई मतलब नहीं है बाकि भाजपा का तो यह फैसला ही है.
अल्मोड़ा में यूनिवर्सिटी बनाने के फैसले का स्वागत किया जाना चाहिये लेकिन पिथौरागढ़ में यूनिवर्सिटी की मांग भी पूरी की जानी चाहिये. एकबात यह तय है कि अल्मोड़ा में यूनिवर्सिटी खुलने से सरकार के पास एक मजबूत आंकड़ा जरूर होगा हालांकि पिथौरागढ़ के युवाओं की समस्या जस की तस रहेगी.
काफल ट्री के फेसबुक पेज को लाइक करें : Kafal Tree Online
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
लम्बी बीमारी के बाद हरिप्रिया गहतोड़ी का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया.…
इगास पर्व पर उपरोक्त गढ़वाली लोकगीत गाते हुए, भैलों खेलते, गोल-घेरे में घूमते हुए स्त्री और …
तस्वीरें बोलती हैं... तस्वीरें कुछ छिपाती नहीं, वे जैसी होती हैं वैसी ही दिखती हैं.…
उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…
शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…
कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…