Featured

पेड़ों के तने मेरी किताब के पन्ने हैं – वृक्ष मानव सकलानी

वृक्ष मानव का निधन

विश्वेश्वर दत्त सकलानी ने आठ साल की उम्र में अपने जीवन का पहला पौधा लगाया था. 96 वर्ष की आयु तक उन्होंने टिहरी-गढ़वाल जिले में कम से कम पचास लाख पेड़ लगाये.

वह उत्तराखंड के ‘वृक्ष मानव’ कहलाते हैं. कल विश्वेश्वर दत्त सकलानी का निधन हो गया. साठ से सत्तर बरस पहले टिहरी गढ़वाल यह हिस्सा बंजर समझा जाता था. उस समय विश्वेश्वर दत्त सकलानी ने अपना जीवन पेड़ लगाने में सौंप दिया. उन्होंने केले, बुरांश, सेमल, भीमल और देवदार के पौधे लगाना शुरू किया.

शुरुआती कदम

शुरुआत में स्थानीय गांव वालों ने उनका विरोध किया. गांव वालों को लगा कि वह उनकी जमीन पर पेड़ लगाकर उसे हथियाना चाहते हैं. अपने विरोध में गांव वाले कई बार हिंसक भी हुये. उन्हें वन विभाग द्वारा उनकी जमीन पर ओक और रोडोडेंड्रन के पौधे लगाने के लिये एक बार हिरासत में भी लिया गया था. सकलानी की दूसरी पत्नी ने उनके प्रयासों में मदद की. वह अक्सर स्थानीय लोगों को पर्यावरण के संरक्षण के लिए प्रेरित किया करती.

आँखें चली गयी थीं दस साल पहले

हिन्दुस्तान टाइम्स को उनके बेटे स्वरूप सकलानी बताते हैं कि करीब एक दशक पहले उन्होंने अपनी आँखों की रोशनी खो दी थी. क्योंकि पेड़ लगाते समय कीचड़ और कंकड़ उनकी आँखों में चला गया था. उनकी एक आँख की रोशनी पूरी तरह जा चुकी थी जबकि दूसरे आँख की रोशनी आंशिक रूप से जा चुकी थी. उनके देखने की क्षमता बीस प्रतिशत से भी कम थी.

लेकिन इसके बावजूद उन्होने पेड़ लगाने का काम जारी रखा. आंखों की रोशनी के बिना भी उन्होंने हजारों पेड़ लगाये.

नियमित जीवन

सकलानी के साथ काम करने वाले लोग बताते हैं कि कम देखने के बावजूद उनके दिन शुरुआत हमेशा पांच बजे होती थी. वे हर दिन पहाड़ चढ़ते और पेड़ों के बीच रहते. उनके साथ पहाड़ चलते समय उनकी गति पकड़ना हमेशा मुश्किल रहता.

वह पहाड़ों में बकरी की तरह चढ़ते और बिना किसी सहारे के अचानक आये मोड़ भी ले लेते. पहाड़ों में उनका एक साथी हमेशा उनके साथ रहता वह था उनकी कुदाल. सकलानी के शब्दों में “तीन किलो कुदाल मेरी पेन है. जमीन मेरी किताब है. पेड़ों के तने मेरी किताब के पन्ने हैं. टहनियां शब्द हैं. पत्तियाँ स्वर और व्यंजन हैं. मैं इस कलम से लिखता रहता हूँ.”

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

Recent Posts

उत्तराखंड में सेवा क्षेत्र का विकास व रणनीतियाँ

उत्तराखंड की भौगोलिक, सांस्कृतिक व पर्यावरणीय विशेषताएं इसे पारम्परिक व आधुनिक दोनों प्रकार की सेवाओं…

19 hours ago

जब रुद्रचंद ने अकेले द्वन्द युद्ध जीतकर मुगलों को तराई से भगाया

अल्मोड़ा गजेटियर किताब के अनुसार, कुमाऊँ के एक नये राजा के शासनारंभ के समय सबसे…

5 days ago

कैसे बसी पाटलिपुत्र नगरी

हमारी वेबसाइट पर हम कथासरित्सागर की कहानियाँ साझा कर रहे हैं. इससे पहले आप "पुष्पदन्त…

5 days ago

पुष्पदंत बने वररुचि और सीखे वेद

आपने यह कहानी पढ़ी "पुष्पदन्त और माल्यवान को मिला श्राप". आज की कहानी में जानते…

5 days ago

चतुर कमला और उसके आलसी पति की कहानी

बहुत पुराने समय की बात है, एक पंजाबी गाँव में कमला नाम की एक स्त्री…

5 days ago

माँ! मैं बस लिख देना चाहती हूं- तुम्हारे नाम

आज दिसंबर की शुरुआत हो रही है और साल 2025 अपने आखिरी दिनों की तरफ…

5 days ago