अल्मोड़ा से कोई 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गणानाथ का मंदिर मूलतः शिव का मंदिर है. समुद्रतट से 2116 मीटर की ऊंचाई पर एक एकांत स्थल पर सतराली के समीप तल्ला स्यूनरा में मौजूद यह शिव-मंदिर लम्बे समय से भक्तों की आस्था का केंद्र रहा है. एक गुफा में मौजूद इस छोटे से मंदिर के बाहरी परिसर को तथाकथित आधुनिक रूप देकर तनिक भौंडा बना दिया गया है लेकिन गुफा और उसके आसपास का इलाका अब भी अपनी पुरातनता लिए हुए शेष है. (Vishnu Statue in Gananath Temple Almora)
हालांकि यह शिव का मंदिर है यहाँ पर स्थापित भगवान विष्णु की प्रतिमा शिल्पकला का बेजोड़ नमूना है. गुफा के ऊपर की पहाड़ी ढलान से बह कर आते छोटे से पहाड़ी झरने का पानी एक वटवृक्ष की जटाओं से होता हुआ अनवरत बहता रहता है. इसी बहते जल के पार्श्व में विष्णु की यह प्रतिमा स्थापित है. (Vishnu Statue in Gananath Temple Almora
करीब तीन फुट ऊंची इस बेहतरीन मूर्ति में भगवान विष्णु की छवि के दोनों तरफ बने पैनलों पर विविध दैवी-आकृतियाँ उकेरी गयी हैं. मूर्ति के वर्तमान स्वरूप को देख कर मालूम पड़ता है कि इन में से दायाँ वाला पैनल क्षतिग्रस्त होकर गायब हो चुका है. फिर भी जितना अंश इस मूर्ति का अभी शेष बचा हुआ है उसके आधार पर कहा जा सकता है कि यह मूर्ति अपनी सुन्दरता और कलात्मकता के आधार पर उत्तराखंड की सबसे उत्कृष्ट देव-प्रतिमाओं में से एक है.
भगवान विष्णु की इस प्रतिमा के बारे में माना जाता है कि यह प्रतिमा पहले बैजनाथ के शिव-मंदिर के मुख्य देवालय में स्थापित थी. कालान्तर में इसे यहाँ लाकर प्रति-स्थापित कर दिया गया.
कुमाऊँ के सबसे सुन्दर देव-स्थलों में गिने जाने वाले गणानाथ के इस देवालय के बारे में विख्यात है कि यह मंदिर भगवान शिव के चंड-मुंड गणों के स्वामी माने जाने वाले रूप को समर्पित है.
फिलहाल आज देखिये गणानाथ के इस मंदिर में स्थापित विष्णु प्रतिमा की कुछ छवियाँ.
सभी फोटो एवं आलेख: अशोक पाण्डे
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