व्यक्तित्व

शहीद के परिवार ने सैन्यधाम के लिये मिट्टी देने से किया इन्कार

उत्तराखंड सरकार द्वारा राज्य की राजधानी देहरादून में पांचवे धाम के रूप में सैन्यधाम का निर्माण किया जा रहा है. सैन्यधाम  के लिए उत्तराखंड के शहीदों के घर से मिट्टी लाई जा रही है. पिथौरागढ़ जिले से भी 232 शहीदों के घरों से मिट्टी ले जाई जा रही है. इस क्रम में बीते शनिवार को विकासखंड विण व मूनाकोट के 87 शहीदों के घर से मिट्टी भेजी गई थी.
(Shaheed Bahadur Singh Bohra)

रविवार को विकासखंड बेरीनाग में जब प्रशासन की टीम ग्राम पंचायत रावलखेत में शहीद बहादुर सिंह बोहरा के घर पहुंची तो वहां ग्रामीणों ने आपत्ति जताते हुए कहा कि शहीद के नाम पर की गई घोषणाएं अभी तक पूरी नहीं की जा सकी हैं. जब तक शहीद के नाम पर हुई घोषणाएं पूरी नहीं हो जाएंगी वह मिट्टी नहीं देंगे. जिसके बाद प्रशासनिक टीम लौट गई.

देर सायं जब सांसद द्वारा फोन पर दिये गये आश्वासन के बाद ग्रामीण मिट्टी देने को तैयार हुये. इसके बाद प्रशासनिक टीम मिट्टी लेने दुबारा गांव पहुंची. जहां से शहीद के स्वजनों के घर से मिट्टी लाई गयी.

उत्तराखंड सरकार ने 2009 में दौलाबलिया-रावलखेत सड़क का नाम शहीद बहादुर सिंह बोहरा के नाम पर रखने की घोषणा की थी. इसके अतिरिक्त रावलखेत से इकलवागड़ा-पुनौली होते हुए तहसील मुख्यालय तक सड़क निर्माण कार्य का आश्वासन भी दिया गया था जिसे अभी तक पूरा नहीं किया जा सका है.
(Shaheed Bahadur Singh Bohra)

हवलदार बहादुर सिंह बोहरा

हवलदार बहादुर सिंह बोहरा, एसी भारतीय सेना के 10वीं बटालियन, पैराशूट रेजिमेंट के एक सैनिक थे, जो भारत के सर्वोच्च शांतिकालीन वीरता पुरस्कार अशोक चक्र के मरणोपरांत प्राप्तकर्ता थे. बहादुर सिंह बोहरा के लिए अशोक चक्र प्रशस्ति पत्र इस तरह है-

हवलदार बहादुर सिंह बोहरा (10वीं बटालियन द पैराशूट रेजिमेंट (विशेष बल)- मरणोपरांत): हवलदार बहादुर सिंह बोहरा जम्मू-कश्मीर के सामान्य इलाके लवंज में तलाशी अभियान के लिए तैनात एक हमले दल के दस्ते के कमांडर थे.

25 सितंबर 2008 को शाम 6.15 बजे उन्होंने आतंकवादियों के एक समूह को देखा और उन्हें रोकने के लिए तेजी से आगे बढ़े. इस प्रक्रिया में वह भारी शत्रुतापूर्ण फायर की चपेट में आ गये. निडर होकर, उन्होंने आतंकवादियों पर हमला किया और उनमें से एक को मार डाला. गोली लगने से उन्हें गंभीर चोटें आई. निकासी से इनकार करते हुए, उन्होंने हमला जारी रखा और बेहद करीब से दो और आतंकवादियों को मार गिराया.

इसप्रकार, हवलदार बहादुर सिंह बोहरा ने सबसे विशिष्ट बहादुरी का प्रदर्शन किया और आतंकवादियों से लड़ने में देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया.
(Shaheed Bahadur Singh Bohra)

काफल ट्री डेस्क

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