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उत्तराखंड में वैशाख पूर्णिमा का विशेष महत्त्व है

आज वैशाख पूर्णिमा है. भारत समेत विश्व भर में आज का दिन बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. वैशाख पूर्णिमा के दिन ही बुद्ध का जन्म हुआ था, वैशाख पूर्णिमा के दिन ही बुद्ध को ज्ञान प्राप्ति हुई और वैशाख पूर्णिमा के दिन ही बुद्ध को महापरिनिर्वाण की प्राप्ति हुई.

उत्तराखंड में वैशाख पूर्णिमा को बड़ी पूर्णिमा माना जाता है और इस दिन का विशेष महत्व होता है. उत्तराखंड के अधिकांश इलाकों में वैशाख पूर्णिमा के दिन महिलाओं और पुरुषों दोनों का उपवास होता है.

इस दिन गांव के सभी परिवार नयी फसल का अनाज अपने स्थनीय देवता को भोग में लगाते हैं. यह स्थानीय देवता अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग हैं. जैसे थल के आस-पास के गावों में वैशाख पूर्णिमा के दिन कालीनाग के मंदिर जाते हैं और मंदिर की सफाई करते हैं वहां पर खीर इत्यादि बनाकर सभी गांव वालों में प्रसाद के रूप में बांटते हैं.

वैशाख पूर्णिमा के दिन कई स्थानों पर मंदिरों की सफाई की जाती है और लोग अपने घर और पशुओं की खुशहाली के लिये मंदिरों में दूध इत्यादि का भी भोग लगाते हैं.

पिथौरागढ़ जिले में स्थित ओखलिया मंदिर में वैशाख पूर्णिमा के दिन माता का डोला निकलता हैं. ओखलिया मां मूल रूप से चंडिका का ही एक अन्य रूप है. ओखलिया को ही अखलतारणी मैय्या भी कहा जाता है. चण्डिका मैय्या की स्थापना ही अखलतारणी मां के रुप में की गयी है.

इस तरह बौद्ध धर्म से इतर पहाड़ों में वैशाख पूर्णिमा को अपने स्थानीय कृषि महत्त्व के कारण वर्षों से मनाया जा रहा है.

– काफल ट्री डेस्क

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