गढ़वाली, कुमाऊनी और जौनसारी भाषा अकादमी के गठन के बाद दिल्ली सरकार द्वारा प्रवासी उत्तराखंडियों के हित में एक बार फिर बड़े फैसले लिए हैं. (Uttarakhandi Language Programs in Delhi)
गढ़वाली, कुमाऊनी, जौनसारी भाषा अकादमी की गवर्निंग बॉडी की पहली बैठक में दिल्ली के विभिन्न इलाकों में गढ़वाली, कुमाऊनी और जौनसारी बोलियों के 25 शिक्षण केंद्र खोलने का फैसला लिया गया. दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया की सदारत में हुई बैठक में जल्द ही कनाट प्लेस में 2 दिवसीय उत्तराखण्ड लोक उत्सव के आयोजन की भी घोषणा की गयी.
इसके अलावा उत्तराखण्ड की लोक भाषाओँ के कवि सम्मलेन और साहित्यकारों के लिए विभिन्न विधाओं में पुरस्कार दिए जाने की भी योजना रखी गयी. बैठक में उत्तरायणी, मकरैणी को भी प्रोत्साहित किये जाने का निर्णय लिया गया.
मनीष सिसौदिया ने अकादमी के लिए पर्याप्त बजट दिए जाने का भी आश्वासन दिया. फिलहाल अकादमी के लिए 2 करोड़ का बजट प्रस्तावित है.
जल्द ही दिल्ली में कुमाऊनी, गढ़वाली, जौनसारी भाषा अकादमी का भव्य कार्यालय भी बनाया जाना है. जब तक यह कार्यालय बनकर तैयार नहीं हो जाता तब तक अकादमी झंडेवालान स्थित संस्कृत अकादमी के कार्यालय से ही अपने काम-काज का संचालन कर रही है. (Uttarakhandi Language Programs in Delhi)
गौरतलब है कि उत्तराखण्ड की सरकारों ने राज्य गठन के 2 दशक बाद भी स्थानीय लोकभाषाओं के संरक्षण के लिए मुनासिब कदम नहीं उठाये हैं, अकादमी का गठन करना तो बहुत दूर की कौड़ी है. हमारी सरकार बैठी रही, दिल्ली में बन गयी कुमाऊनी, गढ़वाली और जौनसारी भाषा अकैडेमी
फिलहाल दिल्ली सरकार उत्तराखण्ड की भाषा, संस्कृति के लिए ज्यादा गंभीर दिखाई दे रही है. दिल्ली सरकार के ये कदम भविष्य के लिए बहुत उम्मीद जगाने वाले हैं. आशा है उत्तराखण्ड की सरकारें भी दिल्ली सरकार से कुछ सीख लेकर इस दिशा में ठोस और सार्थक पहलकदमी लेगी.
उत्तराखण्ड की लोकभाषाओं की स्थिति से सभी वाकिफ हैं. राज्य सरकार द्वारा इस दिशा में नीम-हकीमी नुस्खे तो सुझाये जाते रहे हैं लेकिन कोई सार्थक कदम नहीं उठाया गया है.
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…
पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…
आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…
“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…
पिछली कड़ी : उसके इशारे मुझको यहां ले आये मोहन निवास में अपने कागजातों के…
सकीना की बुख़ार से जलती हुई पलकों पर एक आंसू चू पड़ा. (Kafan Chor Hindi Story…
View Comments
दिल्ली सरकारो यु कदम प्रशंसनीय च।उम्मीद च उत्तराखंडे सरकार यूँ से कुछ सिख ली अर ढंगकु कदम उठालि।(दिल्ली सरकार का यह कदम सराहनीय है। उम्मीद है उत्तराखण्ड की राज्य सरकार कुछ सीखेगी और कुछ ढंग के कदम इस दिशा में उठाएगी।)
दिल्ली सरकार द्वारा कुमाऊनी गडवाली और जौन्सारी भाषाओं के विकाश के लिये एकेडेमी की स्थापना एक सराह्नीय कदम है ।हम उन्के इस प्रयास की सरहाना करते है ।