गांवों के विकास के लिए सांसद आदर्श ग्राम योजना शुरू हुई थी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 11 अक्टूबर 2014 को यह योजना शुरू की थी. इस योजना के तहत देश के सभी सांसदों को एक साल के लिए एक गांव को गोद लेकर वहां विकास कार्य करना होता है. इससे गांव में बुनियादी सुविधाओं के साथ ही खेती, पशुपालन, कुटीर उद्योग, रोजगार आदि पर जोर दिया जाता है. स्कूल और शिक्षा के प्रति जागरूकता, पंचायत भवन, चौपाल और धार्मिक स्थल, गर्भवती महिलाओं के लिए पोषक आहार की व्यवस्था, गोबर गैस के लिए सार्वजनिक प्लांट भोज-दावत की मिठाई या खाने को मिड डे मील में बांटना इस योजना का प्रमुख उद्देश्य था. लेकिन जब से उत्तराखंड के विकास खंड कपकोट के सुदूरवर्ती गांव सूपी गांव को सांसद आदर्श गांव का ओहदा मिला है, वहां विकास की गाड़ी की रफ्तार बेहद सुस्त रही है.
लॉटरी पद्धति से कपकोट ब्लॉक के सुदूरवर्ती सूपी गांव को सांसद आदर्श गांव का ओहदा मिला था. 15 नवंबर 2014 को सांसद अजय टम्टा ने गांव में आयोजित कार्यक्रम में इसकी विधिवत शुरूआत की थी. गांव को पहले अटल आदर्श गांव का भी तमगा मिल चुका है. इसके तहत गांव को पीएमजीएसवाई के तहत सड़क से जोड़ा गया, लेकिन सड़कों की हालत ख़राब है. राजकीय इंटर कॉलेज सूपी में प्रधानाचार्य, शिक्षकों, लिपिक और स्वच्छक के पद खाली हैं. वहां पंजीकृत 400 बच्चों को पढाने के लिए मात्र एक प्रवक्ता और चार सहायक अध्यापक ही तैनात हैं. प्रवक्ता के 9 पद सृजित होनें के बाद भी एक मात्र प्रवक्ता के सहारे काम चल रहा है. एलटी के आठ पदों के सापेक्ष चार ही पदों पर शिक्षकों की नियुक्त किया गया है. राष्ट्रीयकृत बैंक की शाखा तीन साल बाद भी नहीं खुल सकी है. चार आंगनबाड़ी केंद्र भवन नहीं होने के अलावा आंगनबाड़ी केंद्र तलाई में मुख्य कार्यकत्री का पद खाली है.
देश के विभिन्न हिस्सों में जहां जनधन योजना के खूब खातें खुल रहे है, लेकिन इस गांव में आज तक किसी राष्ट्रीयकृत बैंक की शाखा नहीं खुल सकी है. बैंकिंग संबंधी कामकाज के लिए लोगों को 20 किमी दूर कपकोट जाना पड़ता है. गांव में किसी राष्ट्रीयकृत बैंक की शाखा नहीं खुलने से ग्रामीणों जनता परेशान है. उनका कहना है कि यदि इस समस्या का शीघ्र समाधान नहीं हुआ तो उन्हें आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ेगा. विकास और रोजगार खड़ा करने में बैंक का बड़ा रोल होता है, फिर भी गांव में आज तक बैंक की शाखा स्थापित नहीं की गई है. आदर्श गांव का उद्देश्य तभी पूरा होगा जब ग्रामीणों को बैंक के काम के लिए 20 किमी की दौड़भाग से मुक्ति मिलेगी. सांसद टम्टा द्वारा सूपी गांव को गोद लेने के बाद भी सांसद निधि से गांव में गिने-चुने काम ही कराए गए हैं. पर्यटकों की सुविधा के लिए सवा करोड़ की लागत से पांच हट्स मंजूर हुए थे, वे अधूरे हैं.
2011 की जनगणना के अनुसार सूपी ग्राम पंचायत की आबादी 2200 है यहां 1192 मतदाता हैं. लेकिन आज भी गांव की कई पगडंडियों की हालत खस्ता है. गांव में रोजगार के लिए कोई साधन नहीं है. योजना के अनुसार ग्रामीणों को स्वावलंबी बनाने का भी दावा किया गया लेकिन यह प्रयास सिर्फ कागजों तक ही है. सूपी गांव को जोड़ने वाली सड़क की हालत खराब हो गई है. भारी बारिश से सड़क कई जगह नहर सी बन गई है. सड़क में बने गड्ढे और सड़क के टूटे किनारे दुर्घटना को दावत दे रहे हैं. डामरीकरण के लिए किया गया सोलिंग भी कई जगह बह गया है. सड़क की हालत न सुधरने से ग्रामीणों में रोष है. इस रूट के चालक भारी जोखिम लेकर वाहनों को चला रहे हैं. सुरक्षा के लिहाज से कई लोग वाहनों में बैठने के बजाए पैदल चलना ही बेहतर समझ रहे हैं.
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