Featured

आक्सीजन की कमी और ठंड से उत्तराखंड के सैनिक की सियाचिन में मृत्यु

उत्तराखंड निवासी हवलदार रमेश बहुगुणा ने कल चंडीगढ़ के अस्पताल में आखिरी सांस ली. हवलदार रमेश बहुगुणा सियाचिन सैक्टर में तैनात थे. आज ऋषिकेश घाट पर हवलदार रमेश बहुगुणा का अंतिम संस्कार आज ऋषिकेश में पूर्णानंद घाट में किया गया. Ramesh Bahuguna

चंबा ब्लाक के साबली गांव निवासी हवलदार रमेश बहुगुणा फरवरी 2002 में महार रेजीमेंट में भर्ती हुए थे. पिछले वर्ष अगस्त माह में उनकी पोस्टिंग सियाचिन में हुई थी.

31 जनवरी के दिन तबियत बिगड़ने के कारण उन्हें चंडीगढ़ के अस्पताल में भर्ती किया गया. तीन दिन के उपचार के बाद सोमवार के दिन रमेश बहुगुणा की मृत्यु हो गयी. रमेश बहुगुणा का परिवार वर्तमान में ऋषिकेश में रहता है. 38 साल के रमेश के परिवार में पत्नी और दो बच्चे हैं. अमर उजाला में छपी खबर के अनुसार रमेश बहुगुणा के भाई दिनेश दत्त बहुगुणा में बताया कि 31 जनवरी को स्वास्थ्य संबंधी शिकायत होने पर बहुगुणा को चंडीगढ़ अस्पताल लाया गया था जहां चिकित्सकों ने रमेश की मौत का कारण अत्यधिक ठंड व ऑक्सीजन की कमी होना बताया है. Ramesh Bahuguna

हवलदार रमेश बहुगुणा की मृत्यु ठण्ड और आक्सीजन की कमी से होने के कारण की आधिकारिक पुष्टि सेना द्वारा अभी तक नहीं की गयी है.

सियाचिन विश्व में सर्वाधिक ऊंचाई पर स्थित युद्ध स्थल है. यहाँ इन दिनों तापमान लगभग माईनस 26 डिग्री के आसपास है. Ramesh Bahuguna

काफल ट्री डेस्क

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…

3 days ago

पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला

उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…

3 days ago

1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…

4 days ago

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

5 days ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

5 days ago

गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा

“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…

1 week ago