Featured

उत्तराखण्ड के प्रगति मार्ग पर आपका स्वागत है

कुछ दिन पहले उत्तराखण्ड में ऋषिकेश से देहरादून की सड़क चमकी हुई थी. सड़क के गड्डे भरे जा चुके थे. आप यकीन नहीं मानेंगे ऋषिकेश और देहरादून के कई बस स्टाप के पास एक ही रात में न जाने कहां से भव्य पेड़ तक पाये गये थे. इस सबमें सबसे आकर्षक था देहरादून का एयरपोर्ट. देहरादून के एयरपोर्ट जिसके आस – पास हरियाली के नाम पर पीली घास ढूंढने पर मिलती थी वह इस बीच हरा – भरा था.

ऋषिकेश के भद्रकाली काली मार्ग पर ट्रक में बिकने वाला शराब का सरकारी ठेका गायब था. इसकी जगह बोर्ड लगा था जिसमें बोल्ड अक्षरों में लिखा था प्रगतीशील राज्य में आपका स्वागत है.

समिट के दौरान

देहरादून से ऋषिकेश तक का ठीक हाल वही था जो लड़की देखने वाले घर में लड़के वाले के आने के दिन रहता है. सरकार ने इस पूरे कार्यक्रम को नाम दिया इन्वेस्टमेंट समिट.

इन्वेस्टमेंट समिट को हुये हफ्ता भर नहीं गुजरे सड़कों के गड्डे अपना पुराना आकर लेने लगे, पेड़ गायब, गमले खुद गमला गये, जिस शराब के ट्रक को भद्रकाली मार्ग से गायब किया गया था उसने बोल्ड अक्षरों में लिखे प्रगतीशील राज्य में आपका स्वागत है वाले बोर्ड को समिट के अगले दिन में साइड लगा ट्रक में शराब बेचना चालू कर दिया.

कुछ सवाल और जवाब दोनों सरकार अपने इस कार्यक्रम के दौरान छोड़ गयी. पहला जवाब तो यह कि सरकार चाहे तो सबकुछ कर सकती है. अगर चार अमीरों के लिये किया जा सकता है तो आम जनता के लिये भी किया जा  सकता है. सवाल यह है कि अगर आप किसी को यह नहीं दिखाना नहीं चाहते कि आपके राज्य में ट्रक में शराब बेच रहें हैं तो फिर बेच क्यों रहे हैं?

समिट को हुये आज लगभग पन्द्रह दिन होने को हैं लेकिन सरकार अभी तक इसके अलावा कि समिट सफल रहा के कुछ नहीं बता पाई है. ख़ैर लड़के वालों के जाने के बाद जैसा घर का हाल रहता है वही उत्तराखण्ड का भी हो गया है.

समिट के बाद ( फोटो फेसबुक से साभार )

 

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…

2 days ago

पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला

उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…

2 days ago

1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…

3 days ago

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

4 days ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

4 days ago

गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा

“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…

1 week ago