गिरीश लोहनी

101 साल बाद भी अंग्रेजों ने जलियांवाला बाग हत्याकांड के लिये मांफी नहीं मांगी

He did his duty as he saw it.
रुडयार्ड किपलिंग ने 1927 में ये पंक्तियां कर्नल रेजिनाल्ड एडवर्ड हैरी डायर की मौत पर लिखी थी. डायर जिसने 13 अप्रैल, 1919 के दिन जलियांवाला बाग़ में निहत्थे लोगों पर गोली चलाने के आदेश दिये थे. उसे कर्नल का पद भी जलियांवाला बाग़ काण्ड के बाद ही मिला. Jallianwala Bagh Massacre

डायर के रिटायरमेंट के बाद इंग्लैंड के अख़बार मॉर्निंग पोस्ट ने उसकी मदद के लिये एक कैम्पेन चलाया जिसके खत्म होने तक इंग्लैंड के लोगों ने डायर के लिये 2600 पाउंड इकठ्ठा किये. इन 2600 पाउंड में 10 पाउंड रुडयार्ड किपलिंग के भी थे.

जलियांवाला बाग़ काण्ड की जांच के लिये बने हंटर कमीशन के सामने डायर ने बयान दिया था कि

मैं गोली चला कर लोगों को मार देने का निर्णय पहले से ही ले कर वहां गया था और वह उन लोगों पर चलाने के लिए दो तोपें भी लकर गया था लेकिन संकरे रास्ते के कारण वह वहां नहीं जा पाई थीं. सभा करने की मनाही थी मैंने तुरंत फायर करने के आदेश दिये. मुझे लोगों के वहां से भगाना नहीं था बल्कि लोगों के मन में खौफ पैदा करना था ताकि आगे से कोई ऐसा न करे.

हंटर कमीशन ने डायर के फैसले को सही बताया और उसे केवल इस बात का दोषी बतलाया कि उसने लोगों पर बिना चेतावनी के गोली चलाई और दूसरा गोली चलाने की अवधि कुछ ज्यादा थी. हंटर कमीशन में तीन भारतीय मौजूद थे जिन्होंने इस रिपोर्ट के साथ अपनी एक रिपोर्ट भी पेश की गयी इसे माइनर रिपोर्ट कहा जाता है. इस रिपोर्ट में मार्शल लॉ लगाने से लेकर उसके गोली चलाने तक सभी निर्णयों की तीव्र आलोचना की गयी थी, इस रिपोर्ट को ख़ारिज कर दिया गया था. कमीशन और ब्रिटेन की संसद ने इस घटना का कारण महात्मा गांधी के सत्याग्रह को बताया. Jallianwala Bagh Massacre

दरसल जब देश में गांधी द्वारा रौलेट सत्याग्रह छेड़ा गया तो उत्तर भारत के पंजाब प्रान्त में इसे जबरदस्त समर्थन मिला. 9 अप्रैल 1919 के दिन जब रामनवमी थी उस दिन हिन्दू और मुस्लिम ने लिये एक ही गिलास से पानी पीया और खान बहादुर और रायसाहब के मरने संबंधी नारे लगाये. 10 अप्रैल के दिन दो बड़े कांग्रेसी नेता डॉ सैफुद्दीन किचलू और डॉ सत्यपाल को कांगड़ा घाटी से गिरफ्तार किया गया.

ख़बर फैलते ही लोग सड़कों पर आ गये. अमृतसर में खूब आगजनी की घटनायें हुई बैंक लूटे गये और तार सेवा ठप्प कर दी गयी. इस विरोध में 5 यूरोपीय नागरिक और 20 भारतीय मारे गये. इस दिन की सबसे अप्रिय घटना भीड़ द्वारा युवा नन मार्शेल शेरवुड को लाठियों से पीटना और उसके कपड़े फाड़ना रही.

फोटो : नेशनल आर्मी म्यूजियम से साभार

ब्रिटिश अधिकारीयों ने जिस गली में यह घटना घटी वहां भारतीय पुरुषों को रेंगेते हुए चलाया गया. ब्रिटिश अधिकारियों ने उस क्षेत्र में रहे सभी पुरुषों को गली में रेंगेते हुए चलने की सजा दी. इस घटना तस्वीर आज भी मौजूद है जिसे इतिहास की टॉप 10 अमानवीय तस्वीरों में शामिल किया जाता है. सजा के संबंध में डायर का मत था कि

भारतीय को यूरोपीय महिला को अपनी देवियों के समान पवित्र मानना चाहिये और उनके सामने हमेशा वैसे ही दंडवत रहना चाहिये जैसे वह अपनी देवियों के सामने रहता है.   

डायर जब जालंधर से अमृतसर लौटा तो सैन्य अधिकारी उसे यकीन दिलाने में कामयाब रहे की 1857 की क्रान्ति जैसा कुछ घटने वाला है. उन्होंने उसे यकीन दिलाया कि आन्दोलनकारियों द्वारा की गयी सभी घटनायें पूर्व नियोजित थी. इस घटना के बाद पंजाब प्रान्त के अधिकांश हिस्सों में मार्शल लॉ लागू किया गया. 13 अप्रैल के दिन अधिकांश लोगों को इसकी जानकारी नहीं थी. Jallianwala Bagh Massacre

डायर 13 अप्रैल के दिन भारतीयों को सबक सिखाने की मंशा से ही जलियांवाला बाग़ गया था. उसने अपने बयान में कबूला है उसका उदेश्य ही लोगों की हत्या करना था. डायर के इस व्यवहार के लिये आज तक इंग्लैंड ने कभी माफ़ी नहीं मांगी है.

– गिरीश लोहनी

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