सोशल मीडिया पर बीते एकाध दिनों से एक वीडियो वायरल हो रहा है. (Uncontrolled Tourism in Kedarnath)
पृष्ठभूमि में केदारनाथ धाम की गरिमामय छवि है और उसके ठीक पीछे हरे पहाड़ों पर बर्फ. वीडियो ऑन करते ही आपको बारातों में बजने वाली भांगड़ा बीट सुनाई देती है जिसे बजाने के लिए बाकायदा ढोल वाले हैं. उसके तुरंत बाद आपको जो दिखाई देता है उस पर एकबारगी विश्वास नहीं होता लेकिन आप पाते हैं कि इस मौज वाली धुन लोग बाकायदा नाच रहे हैं. (Uncontrolled Tourism in Kedarnath)
जाहिर है धुन मौज मस्ती वाली है तो नाच भी वैसा ही होगा. महंगे कपड़े और जैकेटें पहने इन खाए-अघाए लोगों में महिलाओं और पुरुषों की संख्या बराबर है. और मौज लूटने के मामले में जींस-पतलून और काले चश्मे धारे महिलाएं पुरुषों से कहीं आगे निकलती दिखाई दे रही हैं. पीछे लाउडस्पीकर पर भी कुछ एनाउंस हो रहा है लेकिन ढोल की कानफोडू आवाज में वह साफ़ सुनाई नहीं दे रहा.
इन तीर्थयात्रियों की वेशभूषा और भाव जाहिर करते हैं है ये स्थानीय लोग नहीं पर्यटक हैं और पहाड़ों पर पर्यटन करने आये हैं ताकि उत्तराखण्ड नाम के हमारे पर्यटन प्रदेश के भूखे-नंगे नागरिकों की दो रोटी का जुगाड़ हो सके.
अपने पहाड़ और यहाँ की पुरानी परम्पराओं और संस्कारों में शांतिप्रियता का हिस्सा महत्वपूर्ण रहता है. आप बेमतलब हल्ला नहीं करते और अगर करते हैं तो बड़े-बुजुर्गों द्वारा आप को डपट कर चुप करा दिया जाएगा.
लेकिन इतने बड़े हिन्दू धाम में इतने जोर शोर से अपनी धार्मिकता और संस्कृति प्रेम का प्रदर्शन कर रहे पर्यटकों को चुप कराने वाला कोई बुजुर्ग कहीं नहीं दिखाई देता. वैसे तो यह काम सरकार नाम की संस्था का होना चाहिए था जिसके रहते हुए केदारनाथ जैसी जगह को तो इस शोर से बख्शा ही जा सकता था लेकिन क्या करें!
देवभूमि है भाई! पर्यटन-राज्य है हमारा! आप औली में शादी कीजिये और बद्री-केदार के प्रांगणों में डिस्को! जेब में माल होना चाहिए! हेलीकॉप्टरों को खरीद सकने की आपकी औकात होनी चाहिए!
वीडियो का लिंक दिया जा रहा है. आप चाहें तो इसे देख लीजिये. वैसे आपके मन में पहाड़ को लेकर थोड़ी भी लज्जा और सरोकार बचे होंगे तो आप इसे पूरा नहीं देख सकेंगे.
https://www.facebook.com/euttaranchal/videos/2384840948427676/
(वीडियो लिंक: eUttaranchal.com से साभार)
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