1962 में 10 अगस्त के दिन अल्मोड़ा जिले के पास द्वाराहाट कस्बे में पड़ने वाले गांव पान बड़ैती में एक बच्चे का जन्म होता है. कौन जानता था कि हरीश पांडे और रेवा पांडे के घर में जन्म लेने वाले इस बेटे को दुनिया विक्रम मल्लाह, जग्गा डाकू या बाबा जैसे न जाने कितने नाम से अपने जहन में हमेशा याद रखेगी. Nirmal Pandey
अल्मोड़ा के छोटे से गांव के लड़के की मेहनत का कमाल था कि उसने अपनी अदाकारी के दम पर फ्रांस तक में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का अवार्ड जीता था. अमोल पालेकर द्वारा निर्देशित दायरा फिल्म में निर्मल पांडे ने एक अभिनेत्री का किरदार निभाया. 1997 में उसके लिये उन्हें फ्रांस का प्रसिद्ध वालेंतिये पुरस्कार दिया गया. सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिये यह पुरस्कार पाने वाले निर्मल विश्व के पहले अभिनेता थे.
तारा ग्रुप्स के साथ उन्होंने लंदन में 125 नाटकों की लम्बी सीरीज की थी. बैंडेट क्वीन, दायरा, औजार, ट्रेन टू पाकिस्तान और न जाने कितनी फिल्मों में गिनाया जाय जिनमें निर्मल पांडे की सशक्त उपस्थिति नज़र आती है. हिन्दी सिनेमा का बड़ा स्टार बनने के बाद भी नैनीताल के लोगों के लिये निर्मल हमेशा उनके परवा डॉन या नानू दा ही रहे.
एक सामान्य पहाड़ी की तरह निर्मल ने भी अभिनय की शुरुआत रामलीला और स्कूल में ही की. प्राथमिक से लेकर इंटर तक की उनकी पढ़ाई नैनीताल में ही हुई. उसके बाद उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई नैनीताल डी.एस.बी से की.
रंगमंच से निर्मल का लगाव ही था कि उन्होंने सरकारी नौकरी तक छोड़ दी. नैनीताल के युगमंच से जुड़कर उन्होंने लाहौर नी देख्या, हैमलेट, अजुवा बफौल जैसे शानदार नाटकों अभिनय किया. निर्मल युगमंच से न केवल एक अभिनेता के रूप में जुड़े थे बल्कि उन्होंने अपने निर्देशन से रंगमंच में अपनी अमिट छाप छोड़ी. Nirmal Pandey
इसी बीच उन्होंने एनएसडी से स्नातक की परीक्षा भी उत्तीर्ण की. एक बार जब निर्मल ने मुम्बई का रुख किया तो हिन्दी फिल्म जगत में अपनी कभी न भुलाये जाने वाली छाप छोड़ दी. आज भी निर्मल पांडे का नाम हिंदी सिनेमा के बड़े-बड़े स्टार पूरे सम्मान से लेते हैं.
48 साल की कम उम्र में ही 18 फरवरी 2010 के दिन निर्मल पांडे की मृत्यु हो गई. उनकी आख़िरी फिल्म लाहौर है. Nirmal Pandey
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